Criminal Justice Season 4 Review: माधव मिश्रा के किरदार में छाए पंकज त्रिपाठी, मास्टरस्ट्रोक है कोर्टरूम-थ्रिलर ये सीरीज

Published on: 29 May 2025 | Author: Antima Pal
Criminal Justice Season 4 Review: क्रिमिनल जस्टिस सीरीज के हर सीजन ने लोगों को अगली संभावना के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया. अब इस सीरीज के चौथे और नए सीजन के पहले तीन एपिसोड रिलीज हो चुके हैं, जो इस बार भी आपको मर्डर का अंदाजा लगाने पर मजबूर कर देंगे. अगर आप इस सीरीज के पहले तीन सीजन के फैन रहे हैं, तो आप इसे देखने से खुद को रोक नहीं पाएंगे और अपना पूरा समय इसके इंतजार में बिताना चाहेंगे. तीन सफल और मनोरंजक सीजन के बाद जियो हॉटस्टार का क्रिमिनल जस्टिस सीजन 4 के साथ वापस आ गया है, जो काफी दमदार है और एक बार फिर माधव मिश्रा के किरदार में पंकज त्रिपाठी का जादू चल गया है.
माधव मिश्रा के किरदार में छाए पंकज त्रिपाठी
इस बार कहानी एक परिवार और एक मर्डर केस पर आधारित है. इस सीजन में कुल 8 एपिसोड हैं, जिनमें से तीन आउट हो चुके हैं और अब आज से हर गुरुवार को दो एपिसोड रिलीज किए जाएंगे. चलिए कहानी से शुरू करते हैं.
कहानी
क्रिमिनल जस्टिस सीजन 4 एक पारिवारिक कहानी के साथ लौटता है जो प्यार, विश्वासघात, मानसिक स्वास्थ्य और हत्या के रहस्य की परतों से जुड़ी हुई है. सीजन की शुरुआत डॉ. राज नागपाल (मोहम्मद जीशान अय्यूब) से होती है, जो एक सफल सर्जन है, लेकिन अपनी पत्नी अंजू (सुरवीन चावला) के साथ अपने रिश्ते में दरार का सामना कर रहा है. उनकी बेटी इरा एस्परगर से पीड़ित है और उसकी देखभाल एक नर्स रोशनी (आशा नेगी) करती है. सब कुछ सामान्य लगता है, लेकिन कहानी तब मोड़ लेती है जब एक सुबह रोशनी की रहस्यमय तरीके से हत्या कर दी जाती है और राज को हत्या का मुख्य आरोपी बना दिया जाता है. जैसे-जैसे दर्शक इस सदमे से उबरने की कोशिश करते हैं, कहानी और भी रोमांचक होती जाती है. इसके तुरंत बाद अंजू को भी गिरफ्तार कर लिया जाता है. मामला गहराता जाता है और सच्चाई की परतें धीरे-धीरे सामने आती हैं, जिसे देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे.
कॉमिक टाइमिंग से जीता एक्टर ने दर्शकों का दिल
पंकज त्रिपाठी उर्फ माधव मिश्रा एक बार फिर अपनी सरल लेकिन बुद्धि से केस की कमान संभालते हैं. इस बार वे अपनी नई लॉ फर्म 'माधव मिश्रा एंड एसोसिएट्स' के साथ आए हैं. उनका किरदार न सिर्फ केस की तह तक पहुंचता है बल्कि अपने अंदाज और कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों को हंसाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ता. इस बार उनकी पत्नी रत्ना भी उनके काम में उनकी मदद करती नजर आती हैं और दोनों के घरेलू सीन सीरीज को हल्का फुल्का टच देते हैं.
निर्देशन और लेखन
रोमांच की पकड़ अंत तक बनी रहती है यानी क्लाइमेक्स तक सस्पेंस बना रहता है. लेखकों और निर्देशकों की टीम ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आखिर तक सस्पेंस कैसे बनाए रखा जाता है. कोर्ट रूम के सीन में हर बार एक नया मोड़ आता है जो दर्शकों को अपनी सीट से बांधे रखता है. कई बार तो आप कुर्सी से उछल भी पड़ेंगे. हालांकि कहानी कई बार थोड़ी खिंची हुई लगती है लेकिन क्लाइमेक्स इतना दमदार है कि आप उस छोटी सी खामी को नजरअंदाज कर सकते हैं. इस बार कहानी सिर्फ एक हत्या का रहस्य नहीं है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक रिश्ते और संवाद की कमी किस तरह एक गहरे संकट में बदल सकती है.
अभिनय
पंकज त्रिपाठी इस बार भी सीरीज की जान हैं, लेकिन उनसे मुकाबला करने के लिए इस सीरीज में कई और शानदार कलाकार भी हैं. अपनी सहज एक्टिंग से उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है कि माधव मिश्रा का किरदार उनसे बेहतर कोई नहीं निभा सकता. एक गंभीर वकील होने के साथ-साथ वह एक पारिवारिक व्यक्ति के तौर पर भी दमदार नजर आते हैं. जिस तरह से वह छिपी हुई परतों को सामने लाते हैं, वह देखने लायक है. मोहम्मद जीशान अय्यूब इस शो में दूसरा बड़ा चेहरा हैं और जब भी वह पहले स्क्रीन पर नजर आए हैं, उन्होंने हमेशा अपने काम को सही साबित किया है. इस बार वह एक परेशान पति और पिता के तौर पर नजर आए हैं और इस बार भी उनका अभिनय दमदार है. जब भी वह स्क्रीन पर आएंगे, आप बिना पलक झपकाए उन्हें देखना चाहेंगे.
आशा नेगी ने की बेहतरीन एक्टिंग
सुरवीन चावला का किरदार भी काफी अहम है. वह शो की लीड एक्ट्रेस हैं. हालांकि वह पहली बार इस तरह के रोल में नजर आई हैं, लेकिन उन्होंने अपने काम से शो में जान डाल दी है. केयरटेकर के रोल में नजर आईं आशा नेगी भी कुछ कम नहीं हैं. उनका रोल थोड़ा छोटा है, लेकिन वह भी तारीफ की हकदार हैं. मीता वशिष्ठ और श्वेता बसु प्रसाद का काम भी बहुत अच्छा है और उन्होंने अपनी एक्टिंग से प्रभावित किया है, जो कोर्ट रूम ड्रामा को गहराई देता है. बरखा सिंह, खुशबू अत्रे और खुशी भारद्वाज ने भी अच्छा काम किया है.