हॉर्मुज स्ट्रेट की टेंशन खत्म, ईरान-रूस ने कहा- तेल सप्लाई को लेकर भारत को चिंता करने की जरूरत नहीं

Published on: 23 Jun 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
हॉर्मुज स्ट्रेट, दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण तेल मार्गों में से एक, में तनाव बढ़ रहा है. अमेरिकी हमलों के बाद ईरान इस मार्ग को बंद कर सकता है. भारत के लिए यह जोखिम भरा है, क्योंकि इसका 35% से अधिक कच्चा तेल और 42% तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) इसी रास्ते से आता है.
भारत के पास 90 दिनों का तेल भंडार
भारत के पास लगभग 90 दिनों का तेल भंडार है, जो अल्पकालिक व्यवधानों से निपटने के लिए पर्याप्त है. हालांकि, लंबी देरी या माल ढुलाई लागत में तेज वृद्धि से नुकसान हो सकता है. सऊदी अरब, जो भारत के 18-20% कच्चे तेल की आपूर्ति करता है, पेट्रोलाइन-यानबु कॉरिडोर के माध्यम से लाल सागर के रास्ते तेल भेज सकता है. इससे लागत थोड़ी बढ़ सकती है, लेकिन भारतीय रिफाइनरियों को आपूर्ति सुनिश्चित रहेगी.
रूस बना भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता
2022 के बाद से भारत ने मध्य पूर्वी तेल पर निर्भरता कम की है. जून 2025 में, भारत ने रूस से 2.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन (mb/d) तेल आयात किया, जो मध्य पूर्व के सभी आपूर्तिकर्ताओं से अधिक है. इससे हॉर्मुज मार्ग पर भारत की निर्भरता कम हुई है.
विविध आयात रणनीति से भारत मजबूत
भारत प्रतिदिन लगभग 5.5 mb/d कच्चा तेल आयात करता है. अमेरिका (0.44 mb/d), पश्चिम अफ्रीका, ब्राजील और लैटिन अमेरिका से आयात हॉर्मुज स्ट्रेट से नहीं गुजरता. ये शिपमेंट स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप या प्रशांत महासागर जैसे वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करते हैं.
पूर्ण बंदी की संभावना कम
विशेषज्ञों का मानना है कि हॉर्मुज स्ट्रेट के पूरी तरह बंद होने की संभावना कम है. ईरान स्वयं अपने 96% तेल को इसी मार्ग से भेजता है और अपनी अर्थव्यवस्था या चीन जैसे खरीदारों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहेगा.
अल्पकालिक व्यवधान संभव
भले ही स्ट्रेट पूरी तरह बंद न हो, 1-3 दिनों के अल्पकालिक व्यवधान हो सकते हैं. इससे माल ढुलाई शुल्क बढ़ सकता है, क्षेत्र में खाली टैंकरों की कमी हो सकती है, और बाजार में डर व अनिश्चितता के कारण तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं.