'हिंदुओं के कारण अल्पसंख्यक सुरक्षित’, किरन रिजिजू बोले- 'अगर मैं पाकिस्तान में होता तो आज...'

Published on: 19 Jul 2025 | Author: Kuldeep Sharma
केंद्र सरकार के मंत्री किरेन रिजिजू ने एक इंटरव्यू में भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ कहा कि भारत में अल्पसंख्यक इसलिए पूरी आज़ादी और सुरक्षा का आनंद लेते हैं क्योंकि यहां बहुसंख्यक हिंदू समाज धार्मिक रूप से सहिष्णु और चरित्र से धर्मनिरपेक्ष है. रिजिजू ने विपक्ष और खासतौर पर कांग्रेस समर्थित वामपंथी समूहों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे लगातार यह गलत नैरेटिव बना रहे हैं कि भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता है.
रिजिजू ने कहा कि भारत में आज हर अल्पसंख्यक और आदिवासी समुदाय अपनी मातृभूमि में पूरी तरह सुरक्षित महसूस करता है. क्योंकि बहुसंख्यक हिंदू समाज किसी के साथ भेदभाव नहीं करता. उन्होंने कहा कि अगर कोई यह कहता है कि भारत में अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं, तो वह भारत जैसे राष्ट्र के साथ अन्याय कर रहा है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “कल्पना कीजिए कि अगर मैं पाकिस्तान में होता या बांग्लादेश का हिस्सा होता, तो आज मैं एक शरणार्थी होता.” उन्होंने कहा कि उन्हें आज तक ऐसा कोई अल्पसंख्यक नहीं मिला जो भारत छोड़ना चाहता हो.
कांग्रेस और वामपंथी समूहों पर निशाना
किरण रिजिजू ने सीधे तौर पर कांग्रेस और उससे जुड़े वामपंथी संगठनों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोग बार-बार अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की झूठी कहानियां फैलाते हैं. उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग, असुरक्षा और धार्मिक अत्याचार जैसे मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है ताकि देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचाया जा सके. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक एजेंडा है, जबकि ज़मीनी सच्चाई बिल्कुल अलग है. उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सभी को बराबरी का दर्जा देता है और यहां कानून के सामने सभी समान हैं.
शरणार्थियों का दिया उदाहरण
रिजिजू ने भारत की उदारता का उदाहरण देते हुए तिब्बत, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए शरणार्थियों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जब-जब इन देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हुआ, उन्होंने भारत का रुख किया, क्योंकि उन्हें भारत के संविधान और लोगों पर भरोसा है. उन्होंने कहा कि भारत न केवल अपने नागरिकों बल्कि दुनिया भर के पीड़ित लोगों को भी सहारा देता है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत में अल्पसंख्यकों को वह सब कुछ मिलता है जो बहुसंख्यकों को मिलता है, बल्कि कई मामलों में उन्हें अतिरिक्त लाभ भी मिलते हैं जो बहुसंख्यकों को नहीं मिलते.