'प्रधानमंत्री जी ने मणिपुर को उसके हाल पर क्यों छोड़ दिया है'? मणिपुर में फिर से तनाव बढ़ने पर भड़की प्रियंका गांधी

Published on: 08 Jun 2025 | Author: Mayank Tiwari
मणिपुर में एक बार फिर हिंसा और तनाव का माहौल गहरा गया है. इस संकटपूर्ण स्थिति पर केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने रविवार (8 जून) को कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार की चुप्पी और निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं. दरअसल, मणिपुर में पिछले दो वर्षों से हिंसा, हत्या, बलात्कार और लोगों का पलायन जारी है, जिसके कारण सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों बेघर हो गए हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को मणिपुर की राजधानी इंफाल के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाए. शनिवार रात से अगले पांच दिनों के लिए राज्य के पांच जिलों में इंटरनेट सेवाएँ पूरी तरह बंद कर दी गई हैं. इसके अलावा, चार जिलों में धारा 163 लागू कर सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के एकत्र होने और प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. एक जिले में कर्फ्यू भी लागू किया गया है, ताकि हिंसा को और बढ़ने से रोका जा सके.
मणिपुर एक बार फिर से हिंसा की चपेट में है। करीब दो साल से राज्य के लोग हिंसा, हत्या, बलात्कार और पलायन झेल रहे हैं। सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं, हजारों लोग बेघर हैं। आखिर क्या कारण है कि केंद्र का शासन होने के बावजूद वहां शांति बहाली नहीं हो पा रही है?
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 8, 2025
प्रधानमंत्री जी ने मणिपुर…
प्रियंका गांधी का केंद्र पर हमला
प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "मणिपुर एक बार फिर से हिंसा की चपेट में है. करीब दो साल से राज्य के लोग हिंसा, हत्या, बलात्कार और पलायन झेल रहे हैं. सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं, हज़ारों लोग बेघर हैं. आखिर क्या कारण है कि केंद्र का शासन होने के बावजूद वहाँ शांति बहाली नहीं हो पा रही है?"
उन्होंने केंद्र सरकार की निष्क्रियता पर तीखा प्रहार करते हुए सवाल किया कि आखिर मणिपुर की स्थिति को सामान्य करने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे. प्रियंका ने अपनी पोस्ट में यह भी जोड़ा कि केंद्र सरकार की ओर से कोई प्रभावी हस्तक्षेप न होना चिंताजनक है.
प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल
प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रवैये पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर को उसके हाल पर क्यों छोड़ दिया है? आज तक न वे मणिपुर गए, न राज्य के किसी प्रतिनिधि से मिले, न कभी शांति की अपील की और न ही कोई ठोस प्रयास किया. यह संवेदनहीन और गैर-ज़िम्मेदार रवैया किसी लोकतंत्र के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. उनके इस बयान ने मणिपुर की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार की जवाबदेही पर एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं. प्रियंका गांधी ने यह स्पष्ट किया कि मणिपुर के लोगों को इस संकट से उबारने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.
मणिपुर में चल रहा संकट
मणिपुर में पिछले दो वर्षों से हिंसा और अशांति का माहौल बना हुआ है. यह राज्य विभिन्न समुदायों के बीच तनाव और हिंसक घटनाओं से जूझ रहा है. सैकड़ों लोगों की मौत और हजारों लोगों का विस्थापन इस संकट की गंभीरता को दर्शाता है. प्रशासन द्वारा इंटरनेट बंद करने और कर्फ्यू जैसे कदम स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए हैं, लेकिन ये उपाय केवल अस्थायी राहत प्रदान कर रहे हैं.
शांति की राह में चुनौतियाँ
मणिपुर में शांति स्थापना के लिए दीर्घकालिक और समावेशी समाधानों की आवश्यकता है. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर सभी पक्षों के साथ संवाद स्थापित करना होगा. स्थानीय समुदायों की शिकायतों को सुनना और उनके अधिकारों की रक्षा करना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. साथ ही, केंद्र सरकार को मणिपुर के लोगों के बीच विश्वास बहाली के लिए ठोस नीतियाँ लागू करने की जरूरत है.