तलाकशुदा महिला को अपने बच्चों के जाति प्रमाणपत्र के लिए पूर्व पति के पास क्यों जाना चाहिए? SC ने OBC प्रमाणपत्र नियमों पर उठाए सवाल

Published on: 23 Jun 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें एकल माताओं (single mothers) के बच्चों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) प्रमाणपत्र जारी करने की मांग की गई है. कोर्ट ने विशेष रूप से अंतरजातीय विवाह के मामलों में स्थिति स्पष्ट करने को कहा.
एकल माताओं के लिए ओबीसी प्रमाणपत्र की मांग
सुप्रीम कोर्ट एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई कर रहा था, जिसमें एकल माताओं के बच्चों को ओबीसी प्रमाणपत्र देने के दिशानिर्देशों में संशोधन की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि प्रमाणपत्र मां के ओबीसी दर्जे के आधार पर जारी किए जाएं, न कि पितृपक्ष (दादा, पिता या चाचा) के प्रमाणपत्र पर जोर दिया जाए. मौजूदा दिशानिर्देश पितृवंश के आधार पर प्रमाणपत्र प्रदान करते हैं, जो एकल माताओं के लिए गंभीर परेशानियां पैदा करता है.
कोर्ट की चिंता: 'तलाकशुदा महिला को क्यों पति की जरूरत?'
जस्टिस केवी विश्वनाथन और एनके सिंह की पीठ ने चिंता जताई कि एक तलाकशुदा महिला को अपने बच्चों के जाति प्रमाणपत्र के लिए पूर्व पति के पास क्यों जाना चाहिए. "अगर अंतरजातीय विवाह हो तो?" कोर्ट ने राज्यों से इस पर स्पष्टीकरण मांगा. कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी अतिरिक्त सुझाव, यदि कोई हों, प्रस्तुत करने को कहा.
अगली सुनवाई 22 जुलाई को
कोर्ट ने इस मामले को अंतिम सुनवाई के लिए 22 जुलाई तक स्थगित कर दिया, जब वह एकल माताओं के बच्चों को ओबीसी प्रमाणपत्र देने के लिए दिशानिर्देश जारी करने पर विचार करेगा. केंद्र ने पहले ही अपना हलफनामा दाखिल कर याचिकाकर्ता के पक्ष में रुख जताया है, लेकिन बताया कि राज्यों की प्रतिक्रिया जरूरी है, क्योंकि वे ऐसे दिशानिर्देश बनाने के लिए जिम्मेदार हैं. कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के लिए पहले से ही इस तरह के दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.
एकल माताओं के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यह याचिका एकल माताओं के बच्चों को ओबीसी प्रमाणपत्र देने का एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाती है, जो सामाजिक न्याय और समानता से जुड़ा है.