बलूच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तानी सेना समर्थित नेता को मार गिराया, आईईडी हमले की ली जिम्मेदारी

Published on: 09 Jun 2025 | Author: Garima Singh
Baloch Liberation Army: बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने एक सनसनीखेज बयान में रिमोट-नियंत्रित आईईडी हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसमें पाकिस्तानी सेना के कथित हत्या दस्ते के प्रमुख सदस्य मुहम्मद अमीन और उनके बेटे नवीद अमीन की मौत हो गई. BLA के प्रवक्ता जीयंद बलूच ने बताया कि इस हमले में मुहम्मद अमीन के ट्रक को निशाना बनाया गया, जिसके परिणामस्वरूप वाहन पूरी तरह नष्ट हो गया और दोनों की मौत हो गई. BLA ने अमीन पर जमुरान और आसपास के क्षेत्रों में सैन्य अभियानों, जबरन गायब किए जाने, और लक्षित हत्याओं में शामिल होने का गंभीर आरोप लगाया है.
BLA के मुताबिक, मुहम्मद अमीन न केवल सैन्य हमलों में सहायता करता था, बल्कि बलूच युवाओं को जबरन गायब करने और उनकी हत्या करने में भी सक्रिय भूमिका निभाता था. प्रवक्ता जीयंद बलूच ने कहा, “एजेंट अमीन व्यक्तिगत रूप से ज़मुरान और उसके आस-पास के इलाकों में सैन्य आक्रमण में सहायता करने में शामिल था, साथ ही युवाओं को जबरन गायब करने और जानबूझकर हत्या करने में भी शामिल था.'' इसके बदले में, अमीन के नेतृत्व वाले गिरोह को पाकिस्तानी सेना से नशीली दवाओं के व्यापार की पूरी छूट प्राप्त थी. इस गिरोह को बलूच राष्ट्रीय आंदोलन संगठन (BRAS) के लड़ाकों की शहादत के लिए भी जिम्मेदार ठहराया गया है.
पिछले हमलों का उल्लेख
BLA ने अपने बयान में बताया कि जुलाई 2018 में जमुरान के जलागी क्षेत्र में हुसैन शाहसवर उर्फ चेसल और हनीफ लाल उर्फ उस्ताद शोहाज की हत्या के पीछे भी यही गिरोह था। इसके अलावा, जनवरी 2020 में नाग क्षेत्र में माजिद बलूच उर्फ सलीम, मिरान बलूच उर्फ डैड जान, शकील बलूच उर्फ जीयांद, दौलत बलूच उर्फ बारान, और यूसुफ बलूच उर्फ डोडा की शहादत में भी इस गिरोह का हाथ था.
बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन
बलूचिस्तान में बलूच समुदाय को लंबे समय से व्यवस्थित उत्पीड़न और यातना का सामना करना पड़ रहा है. आतंकवाद विरोधी अधिनियम और विशेष सुरक्षा अध्यादेश जैसे कानूनों का दुरुपयोग कर बलूच कार्यकर्ताओं को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया जाता है, बिना सुनवाई के लंबे समय तक हिरासत में रखा जाता है, और बुनियादी कानूनी अधिकारों से वंचित किया जाता है. BLA का आरोप है कि सैन्य अदालतें और विशेष न्यायाधिकरण निष्पक्ष सुनवाई के मानकों का पालन किए बिना मुकदमे चलाते हैं, जिससे बलूच कार्यकर्ताओं को न्याय नहीं मिल पाता।
मीडिया सेंसरशिप और हिंसा का चक्र
पाकिस्तान में मीडिया सेंसरशिप कानून बलूच समुदाय की आवाज को दबाने का काम करते हैं. इन कानूनों के कारण बलूचिस्तान में होने वाले अत्याचारों की जानकारी जनता तक नहीं पहुंच पाती, जिससे हिंसा और दंडमुक्ति का चक्र लगातार जारी रहता हैं. बीएलए का कहना है कि उनका संघर्ष बलूच लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए है, और वे इन अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे.