एटॉमिक पॉवर बनने की राह में ईरान ने हासिल किया नया मुकाम, खामनेई बोले- हमने पूरा कर लिया न्यूक्लियर...!

Published on: 04 Jun 2025 | Author: Gyanendra Tiwari
ईरान के सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह अली खामेनेई ने आधिकारिक तौर पर देश के परमाणु ईंधन चक्र के पूर्ण समापन की घोषणा की है. उन्होंने बताया कि आज ईरान खनन से लेकर परमाणु ऊर्जा संयंत्र तक पूरी प्रक्रिया को स्वयं नियंत्रित करने में सक्षम है. यह घोषणा तेहरान में इस्लामिक गणराज्य के संस्थापक आयतोल्लाह खोमैनी की 36वीं पुण्यतिथि के अवसर पर की गई.
खामेनेई ने अमेरिका की उस मांग को पूरी तरह खारिज कर दिया जिसमें ईरान से कहा जा रहा था कि वह अपने परमाणु समृद्धि कार्यक्रम को रोक दे. उनका कहना था कि यह प्रक्रिया ईरान के परमाणु कार्यक्रम का सबसे अहम हिस्सा है और इसे रोकना स्वीकार्य नहीं. उन्होंने साफ कहा कि अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यों के खिलाफ कुछ भी कर पाने में असमर्थ है.
परमाणु वार्ता और अमेरिकी दबाव
पिछले कुछ महीनों से तेहरान और वाशिंगटन के बीच ओमान की मध्यस्थता में पाँच दौर की अप्रत्यक्ष परमाणु वार्ता हो चुकी है. हालांकि दोनों पक्षों ने कुछ प्रगति की बात कही है, लेकिन अभी कोई निर्णायक समझौता नहीं हो पाया है. अमेरिका का मांग है कि ईरान अपने यूरेनियम समृद्धि कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म करे, जिसे ईरानी अधिकारी 'गैर-परामर्शी' मानते हैं.
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी स्पष्ट किया कि उनकी सरकार यूरेनियम समृद्धि को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने एक प्रस्ताव दिया है जिसमें ईरान को सीमित मात्रा में यूरेनियम समृद्धि की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन यह प्रस्ताव अभी गुप्त रखा गया है.
राष्ट्रीय स्वतंत्रता और रक्षा क्षमता पर जोर
खामेनेई ने कहा कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता का मतलब है कि कोई भी निर्णय लेने के लिए अमेरिका के 'हरा या लाल' संकेत का इंतजार न किया जाए. उन्होंने ईरान की परमाणु उद्योग को "आधारभूत उद्योग" बताया और कहा कि देश के वैज्ञानिकों की मेहनत से ईरान ने पूरी परमाणु ईंधन चक्र स्थापित कर लिया है.
साथ ही उन्होंने देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की भी बात कही, जिसे उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता का एक और स्तंभ बताया.
क्षेत्रीय तनाव और इस्लामी देशों के लिए संदेश
खामेनेई ने गाजा में चल रहे इजरायल के हमले को "चौंकाने वाला" बताया और अमेरिका को इसमें "सहयोगी" करार दिया. उन्होंने मुस्लिम देशों से आग्रह किया कि वे इस्राइल से अपने संबंध तोड़ लें क्योंकि उनका कहना था कि इस्राइल का शासन "ध्वस्त होने की प्रक्रिया में है."