अनुसूचित जाति समुदायों के बीच आंतरिक आरक्षण लागू करने के लिए सर्वेक्षण जारी, बढ़ाई गई डेट

Published on: 08 Jun 2025 | Author: Gyanendra Tiwari
कर्नाटक में अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों के बीच आंतरिक आरक्षण लागू करने के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण चल रहा है. इस सर्वेक्षण को पूरा करने के लिए समय सीमा बढ़ा दी गई है और अब इसे 9,400 'नागरिक केंद्रित सेवा केंद्रों' पर 9 जून से 22 जून 2025 तक जारी रखा जाएगा. यह घोषणा जस्टिस एच.एन. नागमोहन दास की अध्यक्षता वाली कमिशन ने की है, जिसे आंतरिक आरक्षण की सिफारिश करने का जिम्मा सौंपा गया है.
'कम्प्रिहेंसिव सर्वे ऑफ शेड्यूल्ड कास्ट्स-2025' की शुरुआत 5 अप्रैल 2025 से हुई थी. यह सर्वेक्षण दो तरीकों से किया जा रहा है- विशेष शिविरों और ऑनलाइन स्व-घोषणा के जरिए. 7 जून 2025 तक जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, राज्य भर में सर्वेक्षण में 90% प्रगति हो चुकी है. हालांकि, अभी भी 10% परिवारों का डेटा इकट्ठा करना बाकी है. कुछ अनुसूचित जाति संगठनों ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी, जिसे कमिशन ने स्वीकार कर लिया.
2011 की जनगणना के अनुसार, कर्नाटक में एससी आबादी 1.04 करोड़ थी. 2025 में यह अनुमानित आबादी 1.16 करोड़ है, जिसमें से 1.05 करोड़ लोगों का डेटा अब तक दर्ज हो चुका है.
स्कूलों के खुलने से बदला प्लान
सर्वेक्षण के लिए पहले 65,000 शिक्षकों को गणनाकर्ता (एन्यूमरेटर) के रूप में नियुक्त किया गया था. लेकिन स्कूलों के फिर से खुलने के कारण शिक्षकों को इस काम से मुक्त कर दिया गया है. इसके चलते, कमिशन ने सर्वेक्षण को जारी रखने के लिए नया तरीका अपनाया है. अब यह सर्वेक्षण राज्य के 9,400 'नागरिक केंद्रित सेवा केंद्रों' जैसे 'कर्नाटक वन', 'बेंगलुरु वन', 'ग्राम वन' और बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के 198 वार्ड कार्यालयों में आयोजित किया जाएगा.
कैसे दे सकते हैं जानकारी?
सर्वेक्षण में हिस्सा लेने के लिए नागरिकों को अपने आधार कार्ड या राशन कार्ड की जरूरत होगी. इसके अलावा, बापूजी सेवा केंद्रों पर भी डेटा जमा करने की सुविधा उपलब्ध है. ऑनलाइन स्व-घोषणा की समय सीमा भी 22 जून 2025 तक बढ़ा दी गई है. ऑनलाइन जानकारी जमा करने के लिए वेबसाइट https://schedulecastesurvey.karnataka.gov.in/selfdeclaration का उपयोग किया जा सकता है.
सर्वेक्षण में शामिल प्रश्नावली में परिवार के सदस्यों की संख्या, शिक्षा, रोजगार, आय, आरक्षण से मिले लाभ, संपत्ति, पेयजल स्रोत और आवास की स्थिति जैसे विवरण शामिल हैं. यह डेटा 101 अनुसूचित जाति उप-जातियों के आधार पर एकत्र किया जा रहा है.
विशेष शिविर और ऑनलाइन विकल्प
कमिशन ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं कि कोई भी परिवार सर्वेक्षण से छूट न जाए. इसके लिए 9 जून से 22 जून तक 'नागरिक केंद्रित सेवा केंद्रों' और बीबीएमपी वार्ड कार्यालयों में विशेष शिविर लगाए जाएंगे. जो लोग पहले चरण में शामिल नहीं हो पाए, वे इन शिविरों में अपनी जानकारी दे सकते हैं. साथ ही, ऑनलाइन स्व-घोषणा का विकल्प भी उपलब्ध है, जो विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो व्यक्तिगत रूप से शिविरों में नहीं पहुंच सकते.
आंतरिक आरक्षण का मकसद
कर्नाटक सरकार ने 1 अगस्त 2024 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह सर्वेक्षण शुरू किया, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जातियों के बीच आंतरिक आरक्षण लागू करने की अनुमति दी गई थी. यह सर्वेक्षण 101 एससी उप-जातियों के बीच 17% आरक्षण को और अधिक समान रूप से बांटने के लिए जरूरी डेटा इकट्ठा करेगा. कुछ प्रभावशाली उप-जातियों के आरक्षण लाभ को हड़पने की शिकायतों के बाद यह कदम उठाया गया है.
जस्टिस नागमोहन दास ने कहा कि यह सर्वेक्षण भारत में अपनी तरह का अनोखा प्रयास है, जिसमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने भी इस इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन विधि के बारे में जानकारी मांगी है.
चुनौतियां और समाधान
सर्वेक्षण के दौरान कुछ चुनौतियां सामने आई हैं, जैसे कि उप-जाति की पहचान को लेकर भ्रम और कुछ लोगों का अपनी जानकारी देने में हिचकिचाना. उदाहरण के लिए, आदि कर्नाटक और आदि द्रविड़ जैसी उप-जातियों के नाम को लेकर भ्रम की स्थिति है, क्योंकि ये नाम अलग-अलग जिलों में अलग-अलग समुदायों द्वारा उपयोग किए जाते हैं.
कमिशन ने इस समस्या को हल करने के लिए गणनाकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया है, ताकि वे आधार कार्ड, राशन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र जैसे दस्तावेजों के जरिए जानकारी को सत्यापित कर सकें.