भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर संकट के बादल, सेब और जीएम फसलों ने बिगाड़ा खेल

Published on: 13 Jun 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता में सेब, मक्का और सोयाबीन जैसे मुद्दे रुकावट बन रहे हैं, जिससे प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) में देरी हो सकती है. यह समझौता 8 जुलाई से पहले लागू होना था, ताकि राष्ट्रपति ट्रम्प के पारस्परिक टैरिफ लागू होने से बचा जा सके.
क्या रही वजह
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, “अमेरिका कृषि उत्पादों के लिए बाजार पहुंच की मांग कर रहा है, लेकिन भारत को अपनी विशाल जनसंख्या के हितों की रक्षा करनी है. हमारे लिए यह व्यापार से ज्यादा आजीविका का सवाल है.” सेब के मामले में, अमेरिका बड़े पैमाने पर टैरिफ में कटौती चाहता है, जबकि भारत केवल सीमित रियायत देने को तैयार है, विशेष रूप से कोटा आधार पर, ताकि घरेलू उत्पादकों को नुकसान न हो.
सेब आयात पर कोटा नीति
अधिकारी ने कहा, “अगर व्यापार समझौता होता है और अमेरिकी सेब को रियायत दी जाती है, तो अन्य व्यापारिक साझेदारों से आयात कम होगा. लेकिन सेब पर रियायत पूरी तरह नहीं, बल्कि कोटा आधार पर होगी, जिसमें अमेरिका से निश्चित मात्रा में सेब कम टैरिफ पर आएंगे.” हालांकि, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के सेब उत्पादकों को नुकसान की चिंता के कारण यह कोटा लागू करना भी आसान नहीं है.
जीएम फसलों पर विवाद
अमेरिका जीएम फसलों के लिए भारतीय बाजार खोलने की मांग कर रहा है, लेकिन भारत इसके पर्यावरणीय और आजीविका प्रभावों को लेकर सतर्क है. अधिकारी ने कहा, “मक्का और सोयाबीन जैसे अमेरिकी उत्पादों में जीएमओ का मुद्दा जटिल है. ब्राजील और अमेरिका की उच्च उपज जीएम किस्मों के कारण है, जो भारत में उपयोग नहीं होती. इनके प्रवेश से भारतीय किसानों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है.”
नीति आयोग का सुझाव
नीति आयोग ने पिछले महीने एक पेपर में सुझाव दिया कि भारत सख्त नियंत्रण के साथ सोयाबीन तेल जैसे जीएम उत्पादों का आयात कर सकता है. पेपर में कहा गया, “भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक है और अमेरिका के पास जीएम सोयाबीन का विशाल निर्यात अधिशेष है. भारत अमेरिकी मांगों को पूरा करने के लिए सोयाबीन तेल आयात में रियायत दे सकता है.”
जीएम फसलों के जोखिम
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने 10 जून को एक नोट में चेतावनी दी, “जीएम उत्पादों के भारत में प्रवेश से स्थानीय कृषि में रिसाव का खतरा है, जिससे खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण और निर्यात पर प्रतिबंध लग सकता है.” जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, “जीएम सामग्री के रिसाव से गंभीर चिंताएं पैदा होंगी.”
कृषि पर निर्भरता का अंतर
अधिकारी ने बताया, “बादाम, पिस्ता और अखरोट जैसे अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ रियायत देना आसान है, लेकिन अन्य कृषि उत्पादों पर ऐसा करना मुश्किल है, क्योंकि भारत की 45% आबादी कृषि पर निर्भर है, जबकि अमेरिका में यह केवल 4% है.”