व्यापार समझौते के लिए भारत-अमेरिका में बातचीत जारी, US अधिकारियो ने बढ़ाई अपनी यात्रा

Published on: 08 Jun 2025 | Author: Gyanendra Tiwari
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर चल रही बातचीत में तेजी आई है. एक अमेरिकी व्यापार दल, जो भारत में 5-6 जून को भारतीय अधिकारियों के साथ चर्चा के लिए आया था, ने अब अपनी यात्रा को मंगलवार, 10 जून 2025 तक बढ़ा दिया है. यह कदम इस बात का संकेत है कि दोनों देश जुलाई की समय-सीमा से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के करीब हैं. सूत्रों के अनुसार, अधिकांश मुद्दों को एक हफ्ते के भीतर सुलझा लिया जाएगा.
भारत और अमेरिका एक चरणबद्ध व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं, जिसका पहला हिस्सा जुलाई 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है. यह समय-सीमा इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि 9 जुलाई से अमेरिका द्वारा भारत के सामानों पर 26% अतिरिक्त पारस्परिक टैरिफ (reciprocal tariffs) लागू हो सकते हैं. हालांकि, इन टैरिफ को वाशिंगटन में कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. भारत इस समझौते के जरिए इन टैरिफ से बचना चाहता है और अपने निर्यात क्षेत्रों, खासकर टेक्सटाइल और चमड़े जैसे श्रम-प्रधान उद्योगों के लिए अमेरिकी बाजार में बेहतर पहुंच चाहता है.
भारत के वाणिज्य मंत्रालय और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार किया है, क्योंकि यह जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं है. लेकिन भारतीय मीडिया में पहले ही इस यात्रा के विस्तार की खबरें आ चुकी हैं.
सकारात्मक और रचनात्मक बातचीत
भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मई 2025 में अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड ल्यूटनिक के साथ हुई मुलाकात को "रचनात्मक" बताया था. ल्यूटनिक ने भी इस महीने की शुरुआत में कहा कि वह भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की संभावनाओं को लेकर "बहुत आशावादी" हैं और इसे "निकट भविष्य" में पूरा होने की उम्मीद है.
दोनों देशों के बीच यह बातचीत फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकात के बाद शुरू हुई थी, जिसमें 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 200 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 500 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया था.
क्या हैं मुख्य मुद्दे?
इस व्यापार समझौते में मुख्य ध्यान टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने पर है. अमेरिका भारत में अपने कृषि उत्पादों, औद्योगिक सामानों, और रक्षा उपकरणों के लिए बेहतर बाजार पहुंच चाहता है, ताकि भारत के साथ उसका व्यापार घाटा कम हो. दूसरी ओर, भारत टेक्सटाइल, रत्न और आभूषण, चमड़ा, और कृषि उत्पादों जैसे अंगूर और केले के लिए अमेरिकी बाजार में तरजीही पहुंच की मांग कर रहा है.
भारत ने पहले ही कुछ अमेरिकी उत्पादों, जैसे बोरबॉन व्हिस्की और मोटरसाइकिल, पर टैरिफ कम किए हैं. साथ ही, भारत ने अमेरिका को 90% आयातित सामानों पर टैरिफ-मुक्त पहुंच देने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन ऑटोमोबाइल और कृषि जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया है.
चुनौतियां और उम्मीदें
हालांकि बातचीत सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं. अमेरिका में किसान और रैंचर समुदाय का राजनीतिक प्रभाव मजबूत है, जिसके कारण कृषि क्षेत्र में टैरिफ कम करना दोनों देशों के लिए जटिल है. भारत भी अपने डेयरी और कृषि क्षेत्र को संरक्षित करने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में इसका बड़ा प्रभाव हो सकता है.