अहमदाबाद प्लेन क्रैश में बिजनेसमैन की मौत, पोता-पोती से मिलने जा रहे थे लंदन; अधूरा रह गया सपना

Published on: 15 Jun 2025 | Author: Princy Sharma
Ahmedabad Plane Crash: गुजरात के आनंद से ताल्लुक रखने वाले बिजनेसमैन बदरुद्दीन हलानी और उनके परिवार के लिए गुरुवार का दिन एक भयावह त्रासदी में बदल गया. यह दर्दनाक हादसा एक अहमदाबाद प्लेन क्रैश रूप में सामने आया, जिसने 241 लोगों की जान ले ली, जिनमें बदरुद्दीन और उनकी पत्नी यासमिन भी शामिल थे.
गुरुवार दोपहर 1:17 बजे, बदरुद्दीन ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए अपनी पत्नी, दोस्तों और परिवार का धन्यवाद करते हुए यह घोषणा की कि वह UK जा रहे हैं. इसके बाद, विमान में सवार होने के दस मिनट बाद उन्होंने अपने भाई को फोन किया. 1:27 बजे जब विमान में उन्होंने कॉल की थी, उस समय शायद कोई नहीं जानता था कि कुछ मिनटों में यह विमान एक भयानक दुर्घटना का शिकार होने वाला था. लेकिन कुछ ही सेकंड्स बाद, विमान एक बिल्डिंग से टकरा गया और भीषण आग लग गई.
अधूरा रह गया सपना
बदरुद्दीन हलानी, अपनी पत्नी यासमिन और बहन (sister in law) मलेक के साथ लंदन अपने पोते-पोतियों से मिलने जा रहे थे. उनका सपना था कि वे अमेरिका में RSS से जुड़ी सैनिक स्कूल, सिलवासा के लिए फंड इकट्ठा करें. उनका यह प्रोजेक्ट उनकी जिंदगी का सपना था.
DNA टेस्ट शुरू
बदरुद्दीन के भाई राजूभाई हलानी ने मीडिया को बताया, 'वह हमेशा समाज सेवा के लिए समर्पित रहे. सैनिक स्कूल उनका सपना था और साथ ही वह एक दादा भी थे, जो अपने पोते-पोतियों के साथ समय बिताना चाहते थे.' वहीं इस हादसे के बाद, जहां कई शव पूरी तरह से जल चुके थे और पहचानने के लिए बहुत मुश्किल हो रही थी, वहां अधिकारियों ने शवों की पहचान के लिए DNA टेस्ट शुरू कर दिए हैं.
'मेरी दोनों बेटियां बहुत खुश...'
बदरुद्दीन के बेटे, असीम हलानी, अहमदाबाद पहुंचे और अस्पताल में DNA प्रोफाइलिंग के लिए गए हैं. असीम ने बताया, 'मेरी दोनों बेटियां बहुत खुश थीं क्योंकि दादी-दादा लंदन आ रहे थे. उन्होंने उनके लिए ग्रीटिंग कार्ड भी बनाए थे. अब उन्हें वह कार्ड किसे देंगे? यह हमारे परिवार के लिए बहुत कठिन समय है.'
'मेरे पिता कभी मुझे...'
उन्होंने यह भी बताया कि उनके पिता हमेशा से बेहद प्यार करने वाले थे और वे चाहते थे कि उनकी बेटियां भी वही प्यार और स्नेह महसूस करें, जो उन्होंने अपनी जिंदगी में अनुभव किया था. असीम ने आंसू भरी आंखों से कहा, 'मेरे पिता कभी मुझे डांटते नहीं थे. अगर मैं एक खिलौना मांगता, तो वह मुझे कई खिलौने लाकर देते थे. मैं चाहता था कि मेरी बेटियां भी वही प्यार और स्नेह महसूस करें.'
इस दर्दनाक हादसे में कुल 241 लोग मारे गए, जिनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश नागरिक, 7 पुर्तगाली, 1 कनाडाई और 12 क्रू मेंबर्स शामिल थे. इस दुर्घटना में एकमात्र जीवित बचने वाला व्यक्ति ब्रिटेन के 40 वर्षीय व्यापारी विशाल कुमार रमेश था.