'दोस्त का मांस खाया और...',प्लेन क्रैश होने के बाद 72 दिनों तक माइनस 30 डिग्री में 18 लोगों ने ऐसे बचाई थी अपनी जान

Published on: 13 Jun 2025 | Author: Babli Rautela
Andes Plane Crash: हाल ही में अहमदाबाद में एयर इंडिया की उड़ान AI171 के दुर्घटनाग्रस्त होने की त्रासदी ने दुनिया को हिलाकर रख दिया. इस हादसे ने 1972 के एंडीज विमान हादसे की याद दिला दी, जब उरुग्वे की रग्बी टीम के खिलाड़ियों ने माइनस 30 डिग्री की ठंड में अपने मृत साथियों का मांस खाकर 72 दिनों तक जिंदगी की जंग लड़ी. यह कहानी साहस, हौसले और मानवता की अनोखी मिसाल है.
13 अक्टूबर 1972 को उरुग्वे एयर फोर्स की उड़ान 571, जिसमें 45 लोग सवार थे, चिली के सैंटियागो में रग्बी मैच खेलने जा रही थी. विमान में उरुग्वे की क्रिश्चियन रग्बी टीम, उनके परिवार और दोस्त शामिल थे. खराब मौसम और घने कोहरे की वजह से पायलट को एंडीज के बर्फीले पहाड़ों में कुछ दिखाई नहीं दिया. 14,000 फीट की ऊंचाई पर विमान एक चोटी से टकरा गया. जोरदार धमाके के साथ विमान के टुकड़े बर्फ में बिखर गए. इस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि 27 लोग जख्मी हालत में बच गए.
माइनस 30 डिग्री में जिंदगी की जंग
बचाव दल ने 10 दिनों तक खोज की, लेकिन सफेद विमान को बर्फ में ढूंढना मुश्किल था. 11वें दिन सर्च ऑपरेशन बंद कर दिया गया, यह मानकर कि कोई जीवित नहीं बचा. बचे हुए 27 लोगों ने भोजन को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा. पानी के लिए उन्होंने विमान के धातु के टुकड़े पर बर्फ पिघलाकर पानी बनाया. लेकिन कुछ ही दिनों में भोजन खत्म हो गया. भूख से तड़पते लोगों ने मृत साथियों का मांस खाने का कठिन फैसला लिया. यह उनकी जिंदगी बचाने का आखिरी रास्ता था.
खिलाड़ियों का अदम्य साहस
60 दिनों बाद केवल 16 लोग बचे थे. रग्बी खिलाड़ी नंदो पर्राडो और रोबेर्तो कानेसा ने हार नहीं मानी. कमजोर शरीर और बिना संसाधनों के उन्होंने मदद की तलाश में बर्फीले पहाड़ों पर चलने का फैसला किया. सीट कवर और कपड़ों से ड्रेस बनाकर उन्होंने ठंड से बचाव किया. कई दिनों की मुश्किल यात्रा के बाद वे चिली के एक आबादी वाले इलाके में पहुंचे. एक नदी के किनारे उन्हें घोड़े पर दो लोग दिखे. तेज लहरों के कारण उनकी आवाज नहीं पहुंची, लेकिन अगले दिन घुड़सवारों ने पत्थर से बंधा कागज फेंका.
नंदो ने कागज पर लिखा, 'हम एंडीज हादसे के बचे हुए लोग हैं. हमारे 16 साथी मदद का इंतजार कर रहे हैं.' घुड़सवारों ने खाना फेंका और मदद का वादा किया. 22 दिसंबर 1972 को दो हेलिकॉप्टर पहुंचे और 72 दिनों बाद 16 लोगों को बचाया गया. इस हादसे ने दुनिया को हिलाकर रख दिया. इस पर 'Alive' नाम की किताब और 1993 में एक फिल्म बनाई गई, जो साहस और जीवटता की मिसाल है.