50 Years Of Emergency: आपातकाल के वक्त संविधान के साथ इंदिरा गांधी ने की थी छेड़छाड़, किए गए ये बड़े बदलाव!

Published on: 23 Jun 2025 | Author: Princy Sharma
50 Years Of Emergency: 25 जून, 1975 को भारत में आपातकाल की घोषणा के साथ देश की राजनीति और कानून में बड़े बदलाव आए. इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल के दौरान संविधान में कई अहम संशोधन किए और नए अध्यादेश जारी किए, जिनसे सत्ता का केंद्र में ज्यादा कंट्रोल बढ़ गया और न्यायपालिका की शक्तियां घट गईं. यह आपातकाल 21 महीने तक चला और इसके दौरान कुल 48 अध्यादेश (Ordinance) जारी किए गए, जिनमें से सबसे ज्यादा चर्चा में रहे आंतरिक सुरक्षा का रखरखाव अधिनियम (मीसा) में किए गए संशोधन.
1. मीसा में संशोधन
इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल के दौरान मीसा (संशोधन) अध्यादेश चार बार जारी किए. यह अध्यादेश प्रशासन को बिना किसी वारंट के लोगों को गिरफ्तार करने का अधिकार देता था. इसका इस्तेमाल सरकार ने अपनी राजनीतिक विरोधियों को गिरफ्तार करने के लिए किया.
2. संविधान में बदलाव
आपातकाल के दौरान संसद ने संविधान के कुछ हिस्सों में भी बदलाव किए. 42वें संविधान संशोधन से राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और स्पीकर के चुनावों को अदालत के दायरे से बाहर कर दिया गया था. इसके अलावा, संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी', 'पंथनिरपेक्ष' और 'अखंडता' शब्द भी जोड़े गए. इससे केंद्र की शक्ति और अधिक बढ़ गई और उच्च न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर असर पड़ा.
3. लोकसभा के कार्यकाल का विस्तार:
संसद ने दो बार लोकसभा के कार्यकाल को एक-एक साल के लिए बढ़ाया. 1976 में एक विधेयक पारित किया गया, जिसके तहत लोकसभा का कार्यकाल एक साल बढ़ा दिया गया. इस दौरान विपक्षी नेता जेल में थे, जिससे सरकार को संसद के फैसले जल्दी पास करने में मदद मिली.
4. चुनाव विवादों पर अध्यादेश:
आपातकाल के दौरान प्रधानमंत्री और स्पीकर के चुनावों को लेकर कई विवाद उठे. इसके लिए 3 फरवरी, 1977 को एक अध्यादेश जारी किया गया, जिसका उद्देश्य इन चुनावों पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं से निपटने के लिए एक नई अथॉरिटी का गठन करना था. हालांकि, अगली सरकार ने इस अध्यादेश को निरस्त कर दिया था.
5. आपातकाल की घोषणा में बदलाव:
आचार्य पीडीटी के अनुसार, आपातकाल की घोषणा के लिए मंत्रिमंडल की सहमति आवश्यक नहीं थी. इंदिरा गांधी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बिना ही आपातकाल की सिफारिश की थी, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ. लेकिन बाद में इस प्रक्रिया को और सख्त कर दिया गया. अब आपातकाल की सिफारिश के लिए मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर जरूरी हो गए.
6. संविधान के अनुच्छेद 359 में बदलाव:
आपातकाल के दौरान संविधान के अनुच्छेद 359 में बदलाव किया गया, जिससे नागरिक अधिकारों को निलंबित करने की शक्ति राष्ट्रपति को मिल गई थी. हालांकि, बाद में जनता पार्टी सरकार ने इस प्रावधान में संशोधन करते हुए कहा कि राष्ट्रपति केवल अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर अन्य मौलिक अधिकारों को निलंबित कर सकते हैं. अनुच्छेद 20 और 21 व्यक्ति की सुरक्षा से जुड़े अधिकारों की रक्षा करते हैं.
7. मीसा का निरस्तीकरण:
आपातकाल के बाद, 1978 में मीसा को पूरी तरह से निरस्त कर दिया गया. इसके साथ ही 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान बनाए गए कुछ अन्य कानून भी खत्म कर दिए गए. हालांकि, संविधान की प्रस्तावना में किए गए संशोधन और कुछ मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों को अब भी लागू किया जा रहा है।