अंतिम संस्कार भोज में नहीं परोसी शराब तो समाज से किया बहिष्कृत, जानें कहां का है मामला?

Published on: 09 Jun 2025 | Author: Garima Singh
Odisha tribal: ओडिशा के मयूरभंज जिले के केसापाड़ा गांव में एक आदिवासी परिवार को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि उन्होंने अपने पिता के अंतिम संस्कार के बाद आयोजित सामुदायिक भोज में पारंपरिक मादक पेय 'हंडिया' नहीं परोसा था.
संथाल समुदाय में अंतिम संस्कार के बाद सामुदायिक भोज आयोजित करने की प्रथा है, जिसमें 'हंडिया' परोसना एक आम रिवाज है. हंडिया, चावल से बना एक पारंपरिक मादक पेय, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के आदिवासी समुदायों में विशेष अवसरों पर लोकप्रिय है. हालांकि, यह परंपरा अनिवार्य नहीं है और परिवार की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है.
परिवार पर बहिष्कार का आरोप
27 मार्च 2025 को केसापाड़ा गांव के राम सोरेन का निधन हो गया था. उनके बेटे संग्राम सोरेन ने 27 अप्रैल को परंपरा के अनुसार सामुदायिक भोज का आयोजन किया, लेकिन इसमें हंडिया नहीं परोसा. इसके बाद, संग्राम, उनकी पत्नी लच्छा और उनके तीन बच्चों को ग्रामीणों ने कथित तौर पर बहिष्कृत कर दिया.
लच्छा सोरेन ने बताया, "गांव वाले हमसे और हमारे बच्चों से बात नहीं करते. वे हमें काम नहीं देते, जिससे हमारा जीवन दयनीय हो गया है.'' परिवार को गांव के तालाबों, ट्यूबवेलों से पानी लेने और किराने की दुकानों से सामान खरीदने से भी रोका जा रहा है. एक व्यक्ति को बहिष्कार के नियम तोड़ने के लिए 2,000 रुपये का जुर्माना भी देना पड़ा.
हंडिया न परोसने का कारण
संग्राम ने हंडिया न परोसने के पीछे का कारण स्पष्ट करते हुए कहा, "मेरे पिता शराब की लत के कारण जल्दी चल बेस. मैंने कई आदिवासी परिवारों को शराब की वजह से बर्बाद होते देखा है. इसलिए, मैंने भोज में हंडिया नहीं परोसने का फैसला किया.''
पुलिस का हस्तक्षेप
संग्राम की शिकायत के बाद, सारत पुलिस थाना प्रभारी रमाकांत पात्रा के नेतृत्व में एक टीम ने गांव का दौरा किया. पात्रा ने कहा, "हमने ग्रामीणों को समझाया कि किसी परिवार को सामाजिक रूप से बहिष्कृत करना गलत है. उन्हें दो दिन में मामला सुलझाने को कहा गया है, अन्यथा कानूनी कार्रवाई होगी.''