'अभी भी कांप रहा हूं...', कनाडा के पत्रकार ने खालिस्तानियों पर हमला करने का लगाया आरोप, सुनाई अपनी आपबीती

Published on: 08 Jun 2025 | Author: Mayank Tiwari
खोजी पत्रकार मोचा बेज़ीरगन ने दावा किया है कि वैंकूवर शहर में आयोजित एक खालिस्तानी रैली को कवर करते समय खालिस्तानी समर्थकों के एक समूह ने उन्हें घेर लिया और धमकाया. इस दौरान उनका फोन भी छीन लिया गया. बता दें कि, यह घटना रविवार को हुई, जिसने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
"मैं अभी भी कांप रहा हूँ": बेज़ीरगन
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मोचा बेज़ीरगन, जो कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूज़ीलैंड में खालिस्तानी प्रदर्शनों को कवर करने के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को फोन पर बताया, "यह घटना दो घंटे पहले हुई और मैं अभी भी कांप रहा हूँ." उन्होंने कहा, "वे गुंडों की तरह व्यवहार कर रहे थे - मुझे घेरकर, मेरा फोन छीनकर और रिकॉर्डिंग रोकने की कोशिश कर रहे थे."
बेज़ीरगन ने बताया कि रविवार की इस घटना का नेतृत्व एक ऐसे व्यक्ति ने किया, जिसने पहले ऑनलाइन उन्हें परेशान किया था. उन्होंने कहा, "अचानक दो-तीन लोग मेरे सामने आ गए. मैंने अपने फोन पर बैकअप रिकॉर्डिंग शुरू की, तभी उनमें से एक ने मेरा फोन छीन लिया." पास में मौजूद वैंकूवर पुलिस ने हस्तक्षेप किया और उस व्यक्ति को पीछे हटने का आदेश दिया. बेज़ीरगन ने बाद में पुलिस में बयान दर्ज कराया, हालांकि तत्काल कोई गिरफ्तारी नहीं हुई.
लगातार हो रहे उत्पीड़न का शिकार
पत्रकार ने बताया कि उसी व्यक्ति ने कई ब्लॉकों तक उनका पीछा किया, यहाँ तक कि स्काईट्रेन प्लेटफॉर्म तक. "मेरे पास जाने का कोई रास्ता नहीं था. बेज़ीरगन ने कहा,''यह स्पष्ट रूप से डराने की कोशिश थी. उन्होंने मांग की कि उक्त व्यक्ति, जो उनके अनुसार ब्रिटिश नागरिक है, उसको निर्वासित किया जाए.
पत्रकारों पर तेजी से बढ़ते हमले
यह घटना पत्रकारों पर खालिस्तानी उग्रवाद को कवर करने के दौरान हो रहे हमलों की श्रृंखला का हिस्सा है. अक्टूबर 2024 में, कनाडाई सांसद चंद्रा आर्य ने संसद में चेतावनी दी थी कि "खालिस्तानी उग्रवाद पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को बढ़ती हिंसा का सामना करना पड़ रहा है." उन्होंने रेडियो प्रसारकों ऋषि नागर, समीर कौशल और अन्य पर हमलों का जिक्र किया और बताया कि बेज़ीरगन को पहले भी जान से मारने की धमकियाँ मिल चुकी हैं.
सुरक्षा की उठती मांग
यह घटना पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल उठाती है. बेज़ीरगन जैसे पत्रकार, जो संवेदनशील मुद्दों पर काम करते हैं, लगातार खतरे का सामना कर रहे हैं. इस घटना ने कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों की निगरानी और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है.