न नोबेल, न ओलंपिक फिर कैसे मिला ‘आइंस्टीन वीज़ा’, मेलानिया ट्रंप के ग्रीन कार्ड पर उठे सवाल

Published on: 30 Jun 2025 | Author: Kuldeep Sharma
अमेरिका के हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी की सुनवाई के दौरान डेमोक्रेटिक सांसद जैस्मिन क्रोकेट ने मेलानिया ट्रंप पर निशाना साधते हुए सवाल उठाया कि एक साधारण मॉडल को कैसे 'आइंस्टीन वीजा' मिला. उन्होंने कहा कि आइंस्टीन बीजा के लिए नोबेल प्राइज या अन्य विशेष उपलब्धियां जरूरी होती हैं. खास बात यह है कि ये बहस ऐसे समय पर हो रही है, जब यूएसए में इमीग्रेशन नीति को लेकर सख्ती बरती जा रही है.
EB-1 वीजा एक स्पेशल वीजा कैटेगरी है जो विज्ञान, कला, खेल, व्यापार या शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियां हासिल करने वालों को दिया जाता है. इसकी मदद से व्यक्ति को अमेरिका की ग्रीन कार्ड यानी स्थायी नागरिकता का रास्ता मिल जाता है. सांसद जैस्मिन क्रोकेट ने कहा कि मेलानिया के पास ऐसी कोई खास उपलब्धि नहीं थी, जिससे वो इस वीजा के लिए योग्य मानी जाएं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि नोबेल या ओलंपिक जैसी बड़ी उपलब्धि जरूरी नहीं है. अगर कोई व्यक्ति अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट है और एक मजबूत केस बना पाता है, तो उसे EB-1 वीजा मिल सकता है. उदाहरण के लिए भारतीय मूल के निवेश बैंकर मंगेश घोगरे को न्यूयॉर्क टाइम्स जैसी प्रमुख जगहों पर क्रॉसवर्ड पजल प्रकाशित करने के लिए यह वीजा मिला. वहीं ‘द मैट्रिक्स’ जैसी फिल्मों में काम कर चुके स्टंट कोऑर्डिनेटर ग्लेन बॉसवेल को सिर्फ एक हफ्ते में मंजूरी मिल गई थी.
क्या मेलानिया का मामला नियमों की अनदेखी है?
2000 में जब मेलानिया ने EB-1 के लिए आवेदन किया, वे अमेरिका में मॉडल के रूप में काम कर रही थीं. उस समय उनकी कोई अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि नहीं थी, इस वजह से वीजा मिलने पर सवाल उठे हैं. आलोचक मानते हैं कि यह मामला बताता है कि कैसे यह प्रणाली प्रभावशाली लोगों के लिए आसान हो सकती है. खासकर तब जब डोनाल्ड ट्रंप खुद 'चेन माइग्रेशन' जैसे कानूनों को खत्म करना चाहते हैं, जो मेलानिया की मदद से उनके माता-पिता को अमेरिका लाने में सहायक बना. यह मामला EB-1 वीजा प्रणाली की पारदर्शिता, निष्पक्षता और प्रयोजन पर गंभीर बहस खड़ा करता है.