'यहूदी विरोधी भावनाओं को और भड़काया..' नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलियाई PM पर किया हमला, जानिए क्यों फूटा गुस्सा
Published on: 15 Dec 2025 | Author: Meenu Singh
कल ऑस्ट्रेलिया इतिहास के काले दिनों में से एक था. कल सिडनी में एक यहूदी पर्व हनुक्का के दौरान इंसानियत को हिला देने वाली घटना हुई, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया. उत्सव के दौरान ही सामूहिक गोलीबारी हुई. जिसमें 16 लोगों की मौत हो गई. इसमें एक इस्राइल का नागरिक भी शामिल था. घटना के बाद दुनिया भर से ऑस्ट्रेलिया के लिए शोक संदेश आ रहे हैं.
वहीं अब इस पूरी घटना पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथोनी अलबानीज पर तीखा प्रहार किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि फलस्तीनी राज्य के समर्थन ने यहूदी विरोधी भावनाओं को और भड़काया है।
'आग में घी डालने का काम किया' नेतन्याहू
सबसे पहले तो आपको यह बता दें कि कल ऑस्ट्रेलिया के सिडनी बोंडी बीच पर अचानक कुछ लोगों ने गोलीबारी कर दी जिसके बाद से वहां की स्थिती संदेवनशील बनी हुई है. अब इजरायल के प्रधानमंत्री की इस पूरी मामले पर प्रतिक्रिया सामने आई है.
नेतन्याहू कहा कि उन्होंने पहले ही ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री को चेताया था कि फलस्तीन राज्य की मांग यहूदी विरोधी आग में घी डालने जैसी है। उनके अनुसार सिडनी में जो हुआ यह हमला उसी मानसिकता का नतीजा है. युद्ध के बाद इस्राइल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आलोचना और फलस्तीन समर्थन ने दुनिया भर में यहूदी समुदाय को निशाना बनाए जाने की घटनाओ को बढ़ावा दिया है.
नेतन्याहू ने लगाया आरोप
नेतन्याहू ने कहा कि फलस्तीन राज्य को मान्यता देने की जो अंतरराष्ट्रीय कोशिशें हो रही हैं, वे हमास जैसे संगठनों को इनाम देने जैसी हैं। उनका मानना है कि जब इस्राइल की सैन्य कार्रवाई की आलोचना की जाती है और फलस्तीन का समर्थन किया जाता है, तो इससे यह संदेश जाता है कि हिंसा को सही माना जा रहा है।
आगे उन्होंने सिडनी में हुई गोलीबारी की घटना का भी जिक्र किया और कहा कि ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को अपनी नीतियों पर दोबारा सोचने की आवश्यकता है।
फलस्तीन पर ऑस्ट्रेलिया की राय
बता दें ऑस्ट्रेलिया उन चुनिंदा देशों में से एक है जिन्होंने सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान फलस्तीन राज्य आधिकारिक रूप से मान्यता दी. फलस्तीन के विदेश मंत्रालय के मुताबिक अब तक 159 देश फलस्तीन को मान्यता दे चुके हैं. दुनिया के कई देश मानते हैं कि इस्राइल और फलस्तीन के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद को खत्म करने का सबसे सही तरीका दो-राष्ट्र समाधान है. लेकिन नेतन्याहू की सरकार इस विचार से सहमत नहीं है और इसे इस्राइल की सुरक्षा के लिए खतरा मानती है.