पाकिस्तान ने भारत को दिया तगड़ा झटका, जानें UNSC का अध्यक्ष बनने के बाद भारत के लिए कैसे बनेगा खतरा?

Published on: 01 Jul 2025 | Author: Kuldeep Sharma
पाकिस्तान को जुलाई 2025 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता सौंप दी गई है. यह जिम्मेदारी हर महीने बारी-बारी से परिषद के 15 सदस्य देशों को मिलती है. हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनावपूर्ण हालात के बीच यह घटनाक्रम राजनीतिक और रणनीतिक रूप से काफी अहम हो गया है. कई विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान इस वैश्विक मंच का इस्तेमाल भारत को घेरने के लिए कर सकता है.
पाकिस्तान जनवरी 2025 में भारी बहुमत से UNSC का अस्थायी सदस्य बना था, उसे 193 में से 182 वोट मिले थे. अब जुलाई में उसकी अध्यक्षता के दौरान पाकिस्तान के राजदूत आसिम इफ्तिखार अहमद ने कहा है कि उनकी प्राथमिकता पारदर्शिता, समावेशिता और जिम्मेदारी होगी. वे वैश्विक अस्थिरता, भू-राजनीतिक चुनौतियों और मानवीय संकटों को ध्यान में रखते हुए बैठकों की अध्यक्षता करेंगे. पाकिस्तान जुलाई में बहुपक्षवाद, क्षेत्रीय सहयोग और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान जैसे मुद्दों पर उच्च स्तरीय कार्यक्रम आयोजित करेगा.
पाकिस्तान पहले भी रह चुका है सदस्य
भारत-पाक रिश्तों की पृष्ठभूमि में इस पद को लेकर कई आशंकाएं खड़ी हो गई हैं. गौर करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान इससे पहले भी 1952-53, 1968-69, 1976-77, 1983-84, 1993-94, 2003-04 और 2012-13 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का अस्थायी सदस्य रह चुका है.
भारत के खिलाफ नैरेटिव बनाने की आशंका
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान इस अध्यक्षता का इस्तेमाल भारत के खिलाफ झूठा प्रचार करने के लिए कर सकता है. हाल ही में भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद "ऑपरेशन सिंदूर" के जरिए पाकिस्तान को जवाब दिया था. साथ ही सिंधु जल संधि पर रोक लगाकर पाकिस्तान को पानी संकट की ओर धकेल दिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि पाकिस्तान अब UNSC मंच का उपयोग भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की साजिश में कर सकता है.
भारत की क्या होगी रणनीति
हालांकि भारत भी किसी भी झूठे आरोप या दुष्प्रचार का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है. भारत ने हमेशा वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की सच्चाई को उजागर किया है. कूटनीति और तथ्य भारत की ताकत हैं, और यही वजह है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय में लगातार समर्थन पाता रहा है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान अपनी सीमित अध्यक्षता में क्या रणनीति अपनाता है और भारत उसकी कोशिशों को कैसे बेनकाब करता है.