पटौदी ट्रॉफी का नाम बदलकर किया गया तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी तो गुस्से से लाल हुआ भारत का पूर्व महान बल्लेबाज

Published on: 07 Jun 2025 | Author: Praveen Kumar Mishra
ENG vs IND: भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज के लिए पटौदी ट्रॉफी का नाम बदलकर तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी करने का फैसला लिया गया है, जिससे भारतीय क्रिकेट जगत में गुस्सा और निराशा का माहौल है. यह बदलाव तब हुआ जब इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने 2025 से शुरू होने वाली सीरीज के लिए नई ट्रॉफी की घोषणा की. इस फैसले से भारत के पूर्व महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर बेहद नाराज हैं और उन्होंने इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है.
पटौदी ट्रॉफी का नाम पिता-पुत्र जोड़ी इफ्तिखार अली खान पटौदी और उनके बेटे मंसूर अली खान 'टाइगर' पटौदी के नाम पर रखा गया था. यह ट्रॉफी 2007 में शुरू की गई थी, जब भारत ने टेस्ट क्रिकेट में 75 साल पूरे किए थे.
नाम बदलने का फैसला
हालांकि, अब इंग्लैंड ने इस ट्रॉफी का नाम बदलकर सचिन तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन के नाम पर रखने का फैसला लिया है. यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि दो महान खिलाड़ियों, तेंदुलकर (15,921 टेस्ट रन) और एंडरसन (704 टेस्ट विकेट), को सम्मानित किया जा सके. लेकिन इस फैसले ने पटौदी परिवार और क्रिकेट प्रेमियों को नाराज कर दिया. टाइगर पटौदी की पत्नी शर्मिला टैगोर ने इसे 'संवेदनहीन' करार दिया क्योंकि यह फैसला पटौदी परिवार के योगदान को नजरअंदाज करता है.
सुनील गावस्कर का गुस्सा
भारत के दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने इस बदलाव पर कड़ी आपत्ति जताई है. स्पोर्टस्टार में अपने कॉलम में उन्होंने लिखा, "यह फैसला इंग्लैंड और भारत दोनों में पटौदी परिवार के योगदान के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील है. मुझे उम्मीद है कि अगर किसी भारतीय खिलाड़ी से इस नई ट्रॉफी के लिए संपर्क किया गया, तो वे इसे सम्मान से मना कर देंगे." गावस्कर का मानना है कि पटौदी ट्रॉफी का नाम बदलना क्रिकेट के इतिहास और भावनाओं का अपमान है.
विवाद के पीछे की वजह
पटौदी ट्रॉफी का नाम बदलने का फैसला इसलिए भी विवादास्पद है, क्योंकि इफ्तिखार अली खान और टाइगर पटौदी ने क्रिकेट में जो योगदान दिया, वह सिर्फ एक नाम से नहीं मापा जा सकता. इफ्तिखार ने 1932-33 की बॉडीलाइन सीरीज में अपनी साहसिक राय के लिए मशहूर हुए थे, जबकि टाइगर ने भारतीय टीम को एकजुट करके उसे विश्व स्तर पर पहचान दिलाई.