'खौफ की वो काली रात', अहमदाबाद विमान हादसे ने 14 साल पुरानी फरीदाबाद प्लेन क्रैश की दिलाई याद, जानें क्या हुआ था?
Published on: 13 Jun 2025 | Author: Garima Singh
Ahmedabad plane crash: अहमदाबाद में गुरुवार को हुआ विमान हादसा फरीदाबाद के पर्वतिया कॉलोनी वासियों के लिए 25 मई 2011 की उस भयावह रात को फिर से जीवंत कर गया. उस रात, करीब साढ़े 10 बजे, तेज आंधी के बीच एक एयर एम्बुलेंस अनियंत्रित होकर कॉलोनी के एक घर की छत पर जा गिरा. इस हादसे में विमान में सवार सात लोगों और छत पर सो रही तीन महिलाओं की जान चली गई.
25 मई 2011 की रात साढ़े 9 बजे, पटना से एक एयर एम्बुलेंस ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी. इसमें पीलिया से पीड़ित मरीज राहुल राज, उनके भाई रतनेश, दो नर्स, दो डॉक्टर (राजेश जैन और अर्शद), और दो पायलट सवार थे. कुल सात लोग इस एम्बुलेंस में मौजूद थे. रात साढ़े 10 बजे के आसपास विमान को दिल्ली में उतरना था, लेकिन तभी तेज आंधी ने इसका संतुलन छीन लिया. विमान ने पर्वतिया कॉलोनी के ऊपर तीन-चार चक्कर लगाए. कॉलोनी के लोग, जो छतों पर खड़े थे नीचे उड़ते विमान को देख रहे थे. लेकिन अचानक, यह विमान एक घर की छत पर जा गिरा और उसमें आग लग गई. प्रशासन की टीमें सायरन बजाते हुए मौके पर पहुंचीं, लेकिन तब तक 10 लोगों की जान जा चुकी थी. मरीज राहुल राज, उनके भाई, दो नर्स, दो डॉक्टर, और दोनों पायलट इस हादसे का शिकार हुए.
घर में छह में से तीन की गई जान
जिस घर पर यह हादसा हुआ, वहां शोभाराम, उनकी पत्नी वेदवती, बेटा रोहताश, बहन सविता, रोहताश की पत्नी रानी, और भांजा यश रहते थे. उस रात शोभाराम, रोहताश, और यश नीचे सो रहे थे, जबकि वेदवती, सविता, और रानी छत पर सोने चली गई. उन्हें नहीं पता था कि यह उनकी जिंदगी की आखिरी रात होगी. विमान के पंखों ने तीनों को मौत के आगोश में ले लिया. आज इस घर में केवल रोहताश और उनका भांजा यश बचे हैं. शोभाराम की मौत 2015 में बीमारी के कारण हो गई थी. इस तरह, छह सदस्यों वाले परिवार में से तीन की जान इस हादसे में चली गई.
“वह रात याद नहीं करना चाहते”
रोहताश सहरावत ने मीडिया से बातचीत में कहा, “वह 25 मई की रात को कभी भी याद नहीं करना चाहते. वह रात उनके लिए सबसे बुरी रात थी, क्योंकि उस रात ने उनसे उनकी मां, बहन और पत्नी को छीन लिया था.” उन्होंने बताया कि तत्कालीन सरकार ने घर को ठीक करवाने और एक सरकारी नौकरी देने के बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन आज तक न कोई मुआवजा मिला और न ही किसी को सरकारी नौकरी दी गई.