पंजाब में भूजल संरक्षण के लिए ऐतिहासिक कदम! CM भगवंत सिंह मान ने दी 14 सूत्री कार्य योजना को मंजूरी

Published on: 20 Jun 2025 | Author: Mayank Tiwari
पंजाब के इतिहास में पहली बार, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शुक्रवार (20 जून) को भूजल संरक्षण और जल स्तर को बढ़ाने के लिए एकीकृत प्रांतीय जल योजना के तहत 14 सूत्री कार्य योजना को मंजूरी दी है. यह योजना राज्य में जल संसाधनों के टिकाऊ उपयोग और संरक्षण के लिए एक मील का पत्थर साबित होने की उम्मीद है. यह कदम न केवल पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देगा, बल्कि कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों में जल की मांग को संतुलित करने में भी मदद करेगा.
जल संसाधन विभाग की एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता करते हुए, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा, “यह योजना सभी प्रमुख विभागों के साथ गहन परामर्श के बाद बहुत सावधानी से तैयार की गई है.” उन्होंने बताया कि पंजाब की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है, क्योंकि राज्य के कुल 153 ब्लॉकों में से 115 में भूजल का अत्यधिक दोहन हो रहा है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य भूजल को बचाने और नहरी जल के उपयोग को बढ़ावा देना है, ताकि जल संसाधनों का टिकाऊ प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके.
भूजल संकट के चलते पंजाब में आए चिंताजनक आंकड़े
मुख्यमंत्री मान ने भूजल संकट की गंभीरता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पंजाब में प्रतिवर्ष 5.2 बिलियन क्यूबिक मीटर भूजल निकाला जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप जल स्तर में औसतन 0.7 मीटर की गिरावट हो रही है. इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, सरकार ने कई रणनीतियां अपनाने का फैसला किया है, जिसमें कृषि के लिए भूजल की मांग को कम करना, आधुनिक सिंचाई तकनीकों को बढ़ावा देना, कृत्रिम भूजल पुनर्जनन को प्रोत्साहित करना, और टिकाऊ जल स्रोतों की खोज शामिल है.
नहरी जल और सतही जल का हो प्रभावी उपयोग
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार सतही जल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए पहले से ही सक्रिय है. “हमारा कर्तव्य है कि प्रत्येक टेल पर पड़ने वाले उपभोक्ता तक पानी पहुंचे,” उन्होंने दोहराया. इस दिशा में, सरकार ने 30-40 वर्षों से बंद पड़े 63 हजार किलोमीटर राजवाहों और 545 किलोमीटर लंबी 79 नहरों को पुनर्जनन किया है. इसके अलावा, इस योजना में नहरी राजवाहों को पुनर्जनन करने और सतही जल के समान और टिकाऊ उपयोग को सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया गया है.
जल-बचत तकनीकों को मिले बढ़ावा
सीएम मान ने कहा कि एकीकृत प्रांतीय जल योजना का एक प्रमुख हिस्सा जल-बचत तकनीकों को अपनाना है. मुख्यमंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत 15,79,379 हेक्टेयर क्षेत्र को पारंपरिक सिंचाई विधियों के बजाय ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी जल-बचत तकनीकों के तहत लाया जाएगा. इससे पानी की मांग और बर्बादी को कम करने में मदद मिलेगी. साथ ही, उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जहां कार्यकारी हेड उपलब्ध हो और खुले राजवाहों के बजाय पाइपलाइन का उपयोग किया जा सके.
तालाबों और चेक डैम का हो तेजी से निर्माण
सतही जल के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा, “योजना के अनुसार अतिरिक्त उपलब्ध पानी को नहरों और वितरकों से सीधे आसपास के तालाबों में वितरित किया जाएगा.” इस पानी को लिफ्ट सिंचाई प्रणाली के माध्यम से खेतों तक पहुंचाया जाएगा, जिससे सतही जल की सिंचाई का दायरा बढ़ेगा. इसके लिए चेक डैम और नए तालाबों का निर्माण किया जाएगा. साथ ही, वाटर यूजर एसोसिएशनों के गठन के माध्यम से भागीदारी सिंचाई प्रबंधन को प्रोत्साहित किया जाएगा.
वाटर यूजर एसोसिएशन की जमकर हो सामुदायिक भागीदारी
मुख्यमंत्री ने वाटर यूजर एसोसिएशनों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ये संगठन किसानों की प्रत्यक्ष भागीदारी के माध्यम से पानी के प्रबंधन और वितरण से संबंधित मुद्दों की निगरानी करेंगे. “इससे नहरों की सफाई, पानी की बर्बादी को रोकने और जलमार्गों के रखरखाव में लाभ होगा,” उन्होंने कहा. इसके अलावा, नहरी पानी को उद्योगों तक पहुंचाने की योजना है, जिससे भूजल पर दबाव कम होगा.
भूजल की गहराई का अध्ययन
पंजाब में भूजल की स्थिति का सटीक आकलन करने के लिए, मुख्यमंत्री ने भूजल की गहराई के अध्ययन पर बल दिया. उन्होंने कहा, “पंजाब में भूजल की वास्तविक स्थिति का पता नहीं है, क्योंकि पुनर्जनन और खपत के बीच अंतर है.” इसके लिए भविष्य की नीतियों को तैयार करने के लिए डेटा संग्रह और विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. यह योजना बेसिन प्रबंधन पर आधारित होगी, क्योंकि पंजाब में विभिन्न प्रकार की मिट्टियों और भू-क्षेत्रों की जरूरतें अलग-अलग हैं.
क्षेत्रीय जल प्रबंधन हो पर विशेष ध्यान- CM मान
मुख्यमंत्री ने बताया कि दक्षिण-पश्चिमी पंजाब में बाढ़ की समस्या है, जबकि कंडी क्षेत्र में भूजल बहुत गहरा है. इसीलिए पूरे राज्य के लिए एक समान योजना लागू नहीं की जा सकती. इसके बजाय, पंजाब को विभिन्न बेसिनों में विभाजित किया जाएगा, ताकि पानी के प्रवाह, मिट्टी के कटाव और आवश्यक तत्वों को नियंत्रित किया जा सके. साथ ही, जल-भंडार विशेषताओं और वर्षा के डेटा की पहचान की जाएगी.
बाढ़ नियंत्रण और प्रबंधन
इस योजना में बाढ़ के नुकसान को कम करने के लिए कई उपाय शामिल हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ मॉडलिंग, मैपिंग, फ्लड प्लेन जोनिंग, और सार्वजनिक भागीदारी के लिए अनुसंधान किए जाएंगे. इसके अलावा, बांस के पौधे, वेटीवर घास, चेक डैम, और बांध निर्माण जैसे कदम उठाए जाएंगे. विशेष रूप से, घग्गर नदी के बाढ़ के पानी को संग्रहित करने और चोक पॉइंट्स की पहचान कर चेक डैम बनाकर इसका उपयोग कृषि के लिए किया जाएगा.
जल शुद्धिकरण और सौर ऊर्जा का उपयोग
मुख्यमंत्री ने बताया कि घग्गर के पानी को तालाबों में डाला जाएगा और टाइफा पौधों तथा नैनो बबल तकनीक के माध्यम से इसे शुद्ध किया जाएगा. शुद्ध पानी को सौर ऊर्जा आधारित पंपों और भूमिगत पाइप प्रणाली के माध्यम से खेतों तक पहुंचाया जाएगा. यह योजना कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी प्रोत्साहित करती है.
जागरूकता और शिक्षा पर रखा जाए विशेष जोर
मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रमों पर जोर दिया. इनमें प्राथमिक शिक्षा, युवा, किसान, गैर-सरकारी संगठन, उद्योग, और मीडिया शामिल होंगे. साथ ही, कम मांग वाले समय में नहरी टेलों पर भूजल पुनर्जनन के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण अनिवार्य किया जाएगा.
कृषि विविधता को मिले बढ़ावा
योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा धान और अन्य पानी की अधिक खपत करने वाली फसलों के क्षेत्र को कम करके मक्का, कपास, और बासमती जैसी कम पानी वाली फसलों को बढ़ावा देना है. मुख्यमंत्री ने कहा, “पानी की प्रत्येक बूंद कीमती है, और पंजाब सरकार इसे बचाने के लिए हर संभव उपाय करेगी.