जुन्नार के पूर्व सैनिक ने पर्यावरण संरक्षण को बनाया अपना जुनून, अब तक लगाए 450 पेड़, 8 लाख लीटर पानी पुनर्जीवित किया

Published on: 30 Jun 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
पुणे के जुन्नार की सूरज से तपती पहाड़ियों पर हर सप्ताह के अंत में खरमाले परिवार अपनी अटूट मिशन के साथ पहुंचता है. 49 वर्षीय पूर्व सैनिक और अब वन रक्षक रमेश खरमाले, अपनी पत्नी स्वाती, और बच्चों मयूरेश व वैष्णवी के साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं. यह परिवार वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए कंटूर खाइयां खोदता है, प्राचीन शिवाजी-युगीन बावड़ियों से आक्रामक खरपतवार हटाता है, और बीज बोकर धरती को हरा-भरा करने में जुटा है.
पर्यावरण संरक्षण मेरा जुनून है
जल संरक्षण की अनूठी पहल “संरक्षण मेरा जुनून है, साथ ही मेरा कर्तव्य भी,” रमेश खरमाले कहते हैं, जिनके 17 साल के सैन्य जीवन ने उन्हें अनुशासन दिया, जिसे वे अब धरती को ठीक करने में लगा रहे हैं. 2021 में, उन्होंने धमनखेल के खंडोबा मंदिर के ऊपर जल संकट से निपटने की एकल मुहिम शुरू की. अपने जन्मदिन के अवसर पर, दो महीनों में 300 घंटे की मेहनत से उन्होंने पहाड़ी पर 70 खाइयां खोदीं. वे बताते हैं, “हर सुबह, मैं चार घंटे खाइयां खोदता और फिर काम पर जाता.”
अब तक लगाए 450 से अधिक पेड़
वे बताते हैं कि ये 412 मीटर लंबी सर्पिल खाइयां प्रति मौसम में लगभग 8 लाख लीटर वर्षा जल संग्रहित करती हैं, जिससे भूजल स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. खरमाले कहते हैं, “पर्याप्त बारिश हो तो यह प्रणाली प्रति वर्ष 1.6 करोड़ लीटर पानी रिचार्ज कर सकती है.” हरियाली की ओर कदमखरमाले परिवार ने 450 से अधिक पेड़ लगाए हैं और 500 और लगाने की योजना है. हर गर्मी में, वे पौधों को वनाग्नि से बचाने के लिए पानी ढोते हैं.
जुन्नार के पर्यटन को पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त बनाना लक्ष्य
2013 से, मानसून से पहले, वे सह्याद्री पर्वतमाला में बीज बॉल बिखेरते हैं. खरमाले कहते हैं, “जुन्नार के पर्यटन स्थलों को पूरी तरह प्लास्टिक-मुक्त बनाने की हमारी यात्रा निरंतर है, और स्वयंसेवकों का उत्साहपूर्ण समर्थन हमें मिला है.” ऑक्सीजन पार्क: एक हरा-भरा सपनापरिवार की महत्वाकांक्षा जल संरक्षण से आगे बढ़कर हरे-भरे नखलिस्तान बनाने तक है. वडज गांव में डेढ़ एकड़ के भूखंड में “ऑक्सीजन पार्क” विकसित हो रहा है.