भारत ने गरीबी के रिकॉर्ड को किया कम, पाकिस्तान का हाल हुआ बेहाल, विश्व बैंक ने किया खुलासा

Published on: 09 Jun 2025 | Author: Gyanendra Tiwari
विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट ने भारत और पाकिस्तान में गरीबी की स्थिति पर महत्वपूर्ण जानकारी दी है. जहां भारत ने पिछले एक दशक में गरीबी को रिकॉर्ड स्तर तक कम करने में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है, वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान में गरीबी की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. विश्व बैंक के अनुसार, पाकिस्तान की लगभग 45% आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है, जबकि भारत में अत्यंत गरीबी की दर केवल 5.3% रह गई है. आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं.
विश्व बैंक की स्प्रिंग 2025 पॉवर्टी एंड इक्विटी ब्रीफ के अनुसार, भारत ने 2011-12 से 2022-23 के बीच अत्यंत गरीबी (2.15 डॉलर प्रति दिन से कम आय) को 16.2% से घटाकर 2.3% कर दिया है. इस दौरान 17.1 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी रेखा से ऊपर उठे. ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यंत गरीबी 18.4% से 2.8% और शहरी क्षेत्रों में 10.7% से 1.1% तक कम हुई. इसके अलावा, निम्न-मध्यम आय गरीबी रेखा (3.65 डॉलर प्रति दिन) के तहत गरीबी भी 61.8% से घटकर 28.1% हो गई, जिससे 37.8 करोड़ लोग इस स्तर से बाहर निकले.
भारत का गिनी इंडेक्स, जो आय असमानता को मापता है, 2011-12 में 28.8 से सुधरकर 2022-23 में 25.5 हो गया, जो समावेशी विकास को दर्शाता है. रोजगार में वृद्धि, खासकर महिलाओं के बीच, और ग्रामीण-शहरी अंतर को कम करने में भारत की नीतियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. विश्व बैंक ने भारत सरकार की कल्याणकारी योजनाओं, आर्थिक सुधारों और आवश्यक सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के प्रयासों की सराहना की है.
पाकिस्तान में गरीबी की गंभीर स्थिति
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में गरीबी की स्थिति लगातार बिगड़ रही है. 2023-24 में, 44.7% आबादी (लगभग 10.7 करोड़ लोग) 3.65 डॉलर प्रति दिन की निम्न-मध्यम आय गरीबी रेखा से नीचे रह रही थी, और 16.5% लोग अत्यंत गरीबी (2.15 डॉलर प्रति दिन से कम) की श्रेणी में थे. केवल एक साल में 1.9 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए. विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान का मौजूदा आर्थिक मॉडल गरीबी कम करने में असफल रहा है, और जीवन स्तर क्षेत्रीय देशों से पीछे रह गया है.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे उच्च मुद्रास्फीति, बिजली की बढ़ती कीमतें, और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव. 2000 से 2020 तक पाकिस्तान का प्रति व्यक्ति वास्तविक विकास दर केवल 1.7% रहा, जो दक्षिण एशिया के औसत 4% से काफी कम है. इसके अलावा, 2022 के बाढ़ और कृषि क्षेत्र में 40% कम बारिश जैसी समस्याओं ने फसल उत्पादन को प्रभावित किया, जिससे गरीबी और बढ़ी.
भारत और पाकिस्तान: एक तुलना
अत्यंत गरीबी: भारत में 2022-23 में अत्यंत गरीबी की दर 5.3% थी, जबकि पाकिस्तान में यह 16.5% थी. भारत ने 2011-12 से 2022-23 तक 171 मिलियन लोगों को अत्यंत गरीबी से बाहर निकाला, जबकि पाकिस्तान में 2024-25 में 1.9 मिलियन लोग और गरीबी में चले गए.
आर्थिक विकास: भारत की अर्थव्यवस्था (4.19 ट्रिलियन डॉलर) और साक्षरता दर (80.6%) पाकिस्तान (373 बिलियन डॉलर, 62.8%) से काफी बेहतर है.
नीतिगत सुधार: विश्व बैंक ने पाकिस्तान को कृषि और रियल एस्टेट पर कर बढ़ाने, व्यय में कटौती करने और ऊर्जा सब्सिडी कम करने की सलाह दी है. वहीं, भारत ने समावेशी विकास और रोजगार वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया है.
क्यों है इतना अंतर?
भारत ने शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और सब्सिडी वाले रसोई गैस जैसे क्षेत्रों में सुधारों के जरिए गरीबी को कम किया है. नITI Aayog की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 से 2019-21 तक 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले. इसके विपरीत, पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार, और सैन्य खर्चों का सामाजिक क्षेत्रों पर हावी होना गरीबी में वृद्धि का कारण बना है. विश्व बैंक के अर्थशास्त्री टोबियास हक ने कहा कि पाकिस्तान को बड़े नीतिगत बदलावों की जरूरत है.
भविष्य की राह
विश्व बैंक का अनुमान है कि भारत 2030 तक अत्यंत गरीबी को लगभग समाप्त कर देगा, लेकिन पाकिस्तान में गरीबी 2027 तक 40.8% रह सकती है. भारत की सफलता जहां समावेशी नीतियों और आर्थिक विकास का परिणाम है, वहीं पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और मानव विकास पर ध्यान देने की जरूरत है.
यह विपरीत स्थिति दोनों देशों के नीतिगत
दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं में अंतर को दर्शाती है. भारत का गरीबी उन्मूलन मॉडल दुनिया के लिए एक मिसाल बन रहा है, जबकि पाकिस्तान को अपनी चुनौतियों से निपटने के लिए तत्काल सुधारों की आवश्यकता है.