India Water Strategy: सिंधु जल विवाद के बाद भारत का कड़ा रुख, बांधों की क्षमता बढ़ाने पर जोर

Published on: 06 May 2025 | Author: Ritu Sharma
India Water Strategy: भारत ने पाकिस्तान की ओर बहने वाले जल प्रवाह को नियंत्रित करने के उद्देश्य से एक बड़ा रणनीतिक कदम उठाया है. सिंधु जल संधि (IWT) के निलंबन के बाद, भारत ने चिनाब नदी पर स्थित बगलिहार और सलाल जलविद्युत परियोजनाओं में फ्लशिंग और गाद निकालने का कार्य शुरू कर दिया है. यह कार्य सर्दियों के मौसम में अधिक जल भंडारण सुनिश्चित करने और पाकिस्तान के हिस्से के पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है.
बता दें कि फ्लशिंग एक तकनीकी प्रक्रिया है, जिसमें जलाशय से तलछट हटाने के लिए तेज प्रवाह का उपयोग किया जाता है. इससे बांधों की कार्यक्षमता और जीवनकाल दोनों बढ़ते हैं. केंद्रीय जल आयोग के पूर्व चेयरमैन कुशविंदर वोहरा ने कहा, ''चूंकि संधि अब बाध्यकारी नहीं रही, हम बिना किसी सीमा के फ्लशिंग जैसी प्रक्रियाएं कर सकते हैं. इससे परियोजनाएं लंबे समय तक प्रभावी रहेंगी.'' उन्होंने आगे बताया कि बगलिहार और किशनगंगा जैसी परियोजनाओं में यह कार्य महज एक-दो दिन में पूरा किया जा सकता है.
हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाओं में तेजी, बिजली उत्पादन बढ़ेगा
वहीं सरकार अब केवल अल्पकालिक कदमों तक सीमित नहीं रहना चाहती. जलाशयों की सफाई के साथ-साथ भारत ने मध्यम और दीर्घकालिक उपायों पर भी काम शुरू कर दिया है. पाकल दुल (1000 मेगावाट), रतले (850 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट) और क्वार (540 मेगावाट) जैसी निर्माणाधीन परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया जा रहा है. वोहरा ने कहा, ''किशनगंगा से नौ क्यूसेक पानी को रोकना और इसका प्रयोग बिजली उत्पादन में करना एक और तत्कालिक उपाय है जिसे अपनाया जा सकता है.''
भविष्य में बढ़ेगा भारत का जल उपयोग और भंडारण
इसके अलावा, भारत की लॉन्ग टर्म योजना में चार नई बिजली परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं, जिनसे देश की जलविद्युत क्षमता 4,000 मेगावाट से बढ़कर 10,000 मेगावाट से भी ज्यादा हो सकती है. इससे न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि अन्य राज्यों को भी स्थायी जल आपूर्ति और बिजली मिलेगी. झेलम नदी पर तुलबुल परियोजना को भी फिर से शुरू करने की योजना रोडमैप का अहम हिस्सा है. वोहरा ने कहा, ''और भी कई विकल्प हैं जिन्हें सही समय पर अमल में लाया जाएगा.''