'हम उस पुल को पार कर लेंगे...,' रूस के व्यापारिक संबंधों के लिए अमेरिका की 500% टैरिफ धमकी पर गरजे जयशंकर

Published on: 03 Jul 2025 | Author: Mayank Tiwari
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा प्रस्तावित एक बिल के संबंध में भारत की चिंताओं को स्पष्ट किया. यह बिल रूस से तेल आयात करने वाले देशों, जिसमें भारत भी शामिल है, पर 500 प्रतिशत तक भारी टैरिफ लगाने की बात करता है.
वाशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जयशंकर ने कहा, “सीनेटर लिंडसे ग्राहम के बिल के बारे में, अमेरिकी कांग्रेस में होने वाली कोई भी गतिविधि, जो हमारे हितों को प्रभावित कर सकती है, हमारे लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए, हमने सीनेटर ग्राहम से संपर्क किया है. हमारा दूतावास और राजदूत उनके साथ संवाद में हैं.”उन्होंने आगे कहा, “हमने अपनी चिंताओं और हितों, विशेष रूप से ऊर्जा और सुरक्षा के क्षेत्र में, को उनके सामने रखा है. अगर यह बिल आगे बढ़ता है, तो हमें उस समय स्थिति का सामना करना होगा.” समाचार एजेंसी एएनआई ने विदेश मंत्री के इस बयान को पेश किया.
प्रस्तावित बिल क्या कहता है?
सीनेटर ग्राहम ने इस विधेयक को “हड्डी तोड़ने वाली पाबंदियां” लागू करने वाला बताया है. इसका उद्देश्य रूस और उसके व्यापारिक साझेदारों पर दबाव डालना है. बिल के अनुसार, अगर रूस शांति वार्ता में शामिल होने से इनकार करता है या भविष्य में यूक्रेन की संप्रभुता को खतरे में डालने वाली कोई कार्रवाई करता है, तो यह बिल लागू होगा.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह बिल उन देशों पर कठोर टैरिफ लगाएगा जो रूस से ऊर्जा या अन्य संसाधनों का आयात करते हैं. हालांकि, इसमें एक छूट का प्रावधान भी है, जिसके तहत यूक्रेन के रक्षा समर्थन करने वाले देशों को इन दंडों से बचाया जा सकता है, भले ही वे रूस के साथ व्यापार जारी रखें.
बिल को समर्थन और चुनौतियां
सीनेटर ग्राहम के इस बिल को 100 सदस्यीय सीनेट में 80 से अधिक सह-प्रायोजकों का समर्थन प्राप्त है, जो इसे राष्ट्रपति के वीटो को रद्द करने की ताकत दे सकता है. हालांकि, रिपब्लिकन सांसदों ने संकेत दिया है कि वे इस बिल को आगे बढ़ाने से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. कुछ सांसदों ने इसके व्यापक प्रभावों को लेकर चिंता भी जताई है.
भारत और रूस के ऊर्जा संबंध
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत ने पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद रूस से तेल आयात जारी रखा है. नई दिल्ली का कहना है कि उसकी ऊर्जा जरूरतें सर्वोपरि हैं और रूस से तेल खरीद राष्ट्रीय हितों के आधार पर की जाती है. भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए इस नीति को बनाए रखा है.