जम्मू-कश्मीर के CM उमर अब्दुल्ला ने ईरान पर इजरायल के हमले पर उठाए सवाल, पानी के अधिकार पर भी दिया बड़ा बयान

Published on: 20 Jun 2025 | Author: Mayank Tiwari
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार (20 जून) को ईरान पर इसराइल के हमले की निंदा करते हुए कहा कि युद्ध कहीं भी हो, वह अच्छा नहीं है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने इसराइल की मंशा पर सवाल उठाए और जम्मू-कश्मीर के जल संसाधनों के उपयोग पर जोर दिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल राज्य का अतिरिक्त पानी अन्य राज्यों को देने की कोई योजना नहीं है.
दरअसल, जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने यह बयान जम्मू में 'राब्ता' आउटरीच कार्यालय के उद्घाटन के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान दिया. यह कार्यालय शिकायत निवारण, डेटा-आधारित निगरानी और रणनीतिक संचार के जरिए बेहतर फैसले लेने में मददगार साबित होगा.
इजरायल-ईरान संघर्ष पर क्या बोले उमर अब्दुल्ला?
इजरायल-ईरान संघर्ष पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, "यह अच्छी बात नहीं है. युद्ध कहीं भी हो, अच्छा नहीं है. ईरान ने ऐसा क्या किया कि इजरायल को हमला करना पड़ा? जितनी जल्दी यह संघर्ष खत्म हो, उतना बेहतर है." इजरायल पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, "दो महीने पहले इजरायल के खुफिया प्रमुख ने कहा था कि ईरान परमाणु बम बनाने के करीब भी नहीं है. तब यही सबूत था और अब, दो महीने बाद, इजरायल ने अचानक ईरान पर हमला कर दिया."
उन्होंने बताया कि इस युद्ध का असर भारत पर भी पड़ रहा है, जहां 6,000 से अधिक भारतीय फंसे हुए हैं. उन्होंने कहा ,"हम उन्हें एक-एक करके निकाल रहे हैं. 90 छात्र (जम्मू-कश्मीर से) पहले ही निकाले जा चुके हैं, और 400 अन्य सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए हैं. 6,000 से अधिक छात्रों को निकालने के प्रयास जारी हैं, जिनमें से 1,400 जम्मू-कश्मीर के हैं.
निकाले गए छात्रों की शिकायतों पर सफाई
गुरुवार (19 जून) की सुबह दिल्ली पहुंचे 90 छात्रों में से कुछ ने ईरान से निकाले जाने के बाद कश्मीर ले जाने वाली बसों की खराब स्थिति की शिकायत की थी. इस पर सीएम उमर ने स्वीकार किया कि शुरू में व्यवस्थित वाहन "मानक के अनुरूप नहीं थे." उन्होंने कहा, "जैसे ही हमें सूचना मिली, हमने उचित वाहनों की व्यवस्था की, और अब वे अपने घर पहुंच रहे हैं... वहां के अधिकारियों को भविष्य में और सावधानी बरतने के लिए कहा गया है."
जम्मू-कश्मीर के जल संसाधनों पर CM अब्दुल्ला ने दिया जोर
उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के जल संसाधनों के उपयोग पर बल देते हुए कहा कि राज्य को पहले अपने पानी का उपयोग करने का अधिकार होना चाहिए. केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान को अतिरिक्त पानी स्थानांतरित करने के लिए प्रस्तावित 113 किलोमीटर नहर के निर्माण के सवाल पर उन्होंने कहा, "कोई भी इसे (मंजूरी) नहीं देगा. अभी मैं इसे मंजूरी नहीं देने जा रहा. हालांकि, पहले हमें अपने पानी का उपयोग करने दिया जाए, फिर दूसरों की बात होगी."
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "अभी जम्मू में पानी की कमी है... नलों में पानी नहीं है. मैं पंजाब को पानी क्यों भेजूं? पंजाब के पास सिंधु जल संधि के तहत पहले से तीन नदियां हैं. क्या पंजाब ने हमें कोई पानी दिया?" उन्होंने बताया कि जब जम्मू-कश्मीर को पानी की सख्त जरूरत थी, तब पंजाब ने उझ बहुउद्देशीय परियोजना और शाहपुर कंडी बैराज से पानी साझा नहीं किया. "उन्होंने हमें सालों तक परेशान किया, और लंबे संघर्ष के बाद ही कुछ कदम उठाए गए." उन्होंने जोर देकर कहा, "हम पहले इसका (पानी) उपयोग करेंगे, और फिर दूसरों की जरूरतों पर विचार करेंगे."
सिंधु जल संधि और परियोजनाएं
सिंधु जल संधि के बारे में बात करते हुए उमर ने कहा कि सरकार दो प्रमुख परियोजनाओं तुलबुल बैराज, जिसका काम जल्द शुरू होना चाहिए, और अखनूर में चेनाब नदी से जम्मू शहर के लिए पीने के पानी की पंपिंग पर काम कर रही है.
राज्य का दर्जा बहाल करने की उम्मीद
उमर अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के अपने वादे पर खरे उतरेंगे. उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री, जिन्होंने लोगों से वादा किया और सोनमर्ग कार्यक्रम के दौरान और बाद में भी उस वादे को दोहराया, और सरकार अपने वचन पर कायम रहेगी, और जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा मिलेगा." कानूनी रास्ता अपनाने के सवाल पर उन्होंने कहा, "जब कानूनी विकल्पों की बात करने का समय आएगा, मैं आपको बुलाऊंगा."
महबूबा मुफ्ती पर उमर अब्दुल्ला ने साधा निशाना
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकारी सेवाओं में आरक्षण के मुद्दे पर उमर ने तंज कसा. उन्होंने कहा, "महबूबा मुफ्ती अब इस मुद्दे पर कैसे बोल सकती हैं? उनके पुराने ट्वीट (एक्स पोस्ट) देखें; वह पहले इस पर चुप थीं. अब वह नकली हमदर्दी दिखा रही हैं." उन्होंने बताया कि कानून विभाग आरक्षण के मुद्दे पर रिपोर्ट की जांच कर रहा है. रिपोर्ट आने के बाद कैबिनेट इस पर चर्चा करेगी.