Waqf Act 2025: वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ? इन 10 प्वाइंट्स में समझें सरकार की अहम दलीलें

Published on: 21 May 2025 | Author: Ritu Sharma
Waqf Act 2025: केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से बचाव करते हुए इसे पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष करार दिया है. सरकार ने कहा कि इस कानून का मकसद सिर्फ वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन को पारदर्शी बनाना है, न कि किसी धार्मिक अधिकार में हस्तक्षेप करना.
1. वक्फ एक सेक्युलर कांसेप्ट
केंद्र ने कोर्ट में कहा, ''वक्फ अपने आप में एक धर्मनिरपेक्ष ढांचा है और इसके संवैधानिक मूल्य पर रोक नहीं लगाई जा सकती.'' तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई की अगुवाई वाली पीठ को यह बात लिखित नोट के जरिए बताई.
2. रोक लगाने की जरूरत नहीं
केंद्र ने साफ किया कि ''इस अधिनियम पर तत्काल रोक की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह संविधान के अनुरूप है और अदालतों का काम अंतिम फैसले के वक्त ही रोक लगाना होता है.''
3. तीन कानूनी बिंदुओं पर फोकस
सरकार ने कोर्ट से आग्रह किया कि वह सुनवाई को सिर्फ तीन मुद्दों तक सीमित रखे – धारा 3(आर), 3(सी) और वक्फ बोर्ड की संरचना में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी.
4. याचिकाकर्ताओं की आपत्ति
याचिकाकर्ताओं ने कानून को अनुच्छेद 14 और 300A का उल्लंघन बताया है. उनका कहना है कि यह अधिनियम निजी संपत्तियों को बिना न्यायिक प्रक्रिया के वक्फ घोषित करने की छूट देता है.
5. कपिल सिब्बल की दलील
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ''मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों पर सरकारी दखल असंवैधानिक है और यह धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है.''
6. अदालत की सख्ती
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "भावनात्मक या राजनीतिक बातें नहीं, ठोस संवैधानिक आधार चाहिए, तभी कोई कानून रद्द किया जा सकता है."
7. 'वक्फ बाय यूजर' हटाया गया
संशोधन में अब केवल इस्तेमाल के आधार पर किसी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा, जिससे कई पारंपरिक वक्फ संपत्तियों की स्थिति अस्थिर हो सकती है.
8. रजिस्ट्रेशन अब अनिवार्य
कानून के तहत अब सभी वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे हजारों संपत्तियां कानूनी जांच के दायरे में आ जाएंगी.
9. वक्फ बोर्ड की नियुक्ति में सरकार की भूमिका
सेक्शन 14 के तहत सरकार की भूमिका बढ़ने से समुदाय में आशंका है कि वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खत्म हो रही है.
10. देशभर में विरोध
कई मुस्लिम संगठनों और बुद्धिजीवियों ने कानून को मुस्लिम विरोधी बताते हुए प्रदर्शन किए हैं और इसे रद्द करने की मांग की है.