दिल्ली में यमुना के पास 8 दशकों बाद दुर्लभ भारतीय ग्रे वुल्फ दिखा, जानें क्या बोले एक्सपर्ट

Published on: 21 May 2025 | Author: Mayank Tiwari
देश की राजधानी दिल्ली के उत्तरी छोर पर यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र के पास पल्ला में हाल ही में एक भारतीय भूरे भेड़िये को देखा गया. यह राजधानी में वन्यजीवों की दुर्लभ उपस्थिति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जहां दशकों बाद इस प्रजाति की मौजूदगी दर्ज की गई. दरअसल, पिछले गुरुवार सुबह 7:45 बजे, 41 वर्षीय कारोबारी और वन्यजीव प्रेमी हेमंत गर्ग ने इस भेड़िये को देखा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वन्यजीव प्रेमी हेमंत गर्ग जो दिल्ली-एनसीआर में रात्रिकालीन वन्यजीवों का नियमित रूप से रिसर्च करते हैं, उन्होंने बताया कि भेड़िया नदी के किनारे अपनी विशिष्ट चाल के साथ चल रहा था.
उन्होंने कहा, "इसका रंग गहरा भूरा था और यह आवारा कुत्ते की तरह नहीं दिखता था. जब मैंने पास जाकर तस्वीरें लेनी शुरू कीं, तो यह तेजी से लंबी घास में गायब हो गया.
विशेषज्ञों की भेडिया दिखने पर क्या है राय?
वन्यजीव प्रेमी हेमंत गर्ग द्वारा खींची गई तस्वीरों को वन्यजीव विशेषज्ञों के साथ शेयर किया गया, जिनमें से कई ने इसे भारतीय भूरे भेड़िये के रूप में पहचाना है. विशेषज्ञों ने इसे दिल्ली जैसे शहरी परिदृश्य में एक असाधारण घटना बताया. एक वन्यजीव शोधकर्ता और भेड़िया विशेषज्ञ ने कहा, "बगल से देखने पर यह निश्चित रूप से भेड़िया जैसा दिखता है. कुत्तों में आमतौर पर ऐसी जबड़े की रेखा, मजबूत छाती या भूरी-काली, धूसर कोट नहीं होती. यमुना के पास इसकी मौजूदगी से लगता है कि यह नदी के गलियारे के रास्ते आया होगा."
हालांकि, उन्होंने सावधानी बरतते हुए कहा कि गहरे रंग और पूंछ की बनावट से आवारा कुत्तों के साथ संकरण की संभावना हो सकती है. उन्होंने आगे कहा कि, "बिना जेनेटिक जांच के पुष्टि नहीं की जा सकती.
ऐतिहासिक तौर पर क्या है भेडिया का दिल्ली में दिखने का मतलब
फॉरेस्टर जी.एन. सिन्हा की 2014 की एक प्रकाशन के अनुसार, 1940 के दशक के बाद दिल्ली में भेड़िये की मौजूदगी की कोई पुष्टि नहीं हुई थी. भारतीय भूरे भेड़िए घास के मैदानों, झाड़ियों और शुष्क पर्णपाती जंगलों में पाए जाते हैं, और ये अक्सर कृषि-चरागाह क्षेत्रों में मवेशियों का शिकार करते हैं।
शहरी जैव विविधता पर चर्चा
यह घटना शहरी जैव विविधता और संरक्षण के मुद्दों को फिर से उजागर करती है. निनॉक्स - आउल अबाउट नेचर के संस्थापक और प्राकृतिकवादी अभिषेक गुलशन ने कहा, "यह रोमांचक और महत्वपूर्ण है. यह दिखाता है कि दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी वन्यजीवों की लचीलापन बरकरार है और हमें बाकी बचे हुए हरे गलियारों की रक्षा करनी चाहिए." उन्होंने पुष्टि की, "नई चीजें होती हैं, और जानवर यात्रा करते हैं." हालांकि, एक वरिष्ठ वन विभाग अधिकारी ने इसे कम महत्व देते हुए कहा, "हाल के समय में भेड़िये की कोई मौजूदगी दर्ज नहीं हुई है.