ट्रंप का 20-सूत्रीय गाजा प्लान क्या है? पाकिस्तान में मची खलबली; जानें विशेषज्ञ भी क्यों दो रहे हैं चेतावनी
Published on: 18 Dec 2025 | Author: Reepu Kumari
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कथित 20-सूत्रीय गाजा प्लान ने पाकिस्तान की सियासत और सैन्य गलियारों में हलचल तेज कर दी है. इस योजना के तहत गाजा में स्थिरता बहाल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सेना की तैनाती पर जोर दिया जा रहा है, जिसमें मुस्लिम देशों से सैनिक योगदान की उम्मीद जताई जा रही है. इसी कड़ी में पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर पर वाशिंगटन का दबाव बढ़ा है, जिससे इस्लामाबाद के रणनीतिक फैसलों पर सवाल खड़े हो गए हैं.
विश्लेषकों का मानना है कि अगर पाकिस्तानी सेना इस गाजा मिशन में शामिल होती है, तो देश के भीतर असंतोष और विरोध भड़क सकता है, जिससे हालात बेकाबू होने का खतरा पैदा हो सकता है.
अमेरिका का 20-सूत्रीय गाजा प्लान
सूत्रों के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन गाजा के लिए 20 बिंदुओं वाली योजना पर काम कर रहा है. इसका मकसद हमास जैसे चरमपंथी संगठनों को कमजोर करना और क्षेत्र में स्थिरता लाना है. अमेरिका चाहता है कि मुस्लिम देशों की सेनाएं इस बल का हिस्सा बनें. पाकिस्तान को उसकी सैन्य और संस्थागत क्षमता के कारण अहम कड़ी माना जा रहा है.
पाकिस्तान में इसका असर
विश्लेषकों का कहना है कि गाजा में सैनिक भेजने का फैसला पाकिस्तान में बड़ा विवाद खड़ा कर सकता है. फिलिस्तीन समर्थक और इजरायल विरोधी भावना पहले से मजबूत है. ऐसे मिशन में शामिल होने से सरकार और सेना के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन बढ़ सकते हैं, जो पहले से अस्थिर हालात को और जटिल बना देंगे.
ट्रंप और मुनीर के रिश्ते
आसिम मुनीर और डोनाल्ड ट्रंप के बीच बीते महीनों में नजदीकी बढ़ी है. जून में ट्रंप ने मुनीर को व्हाइट हाउस में निजी भोज के लिए आमंत्रित किया था. इसे दोनों देशों के रिश्तों में भरोसे की नई शुरुआत के तौर पर देखा गया. अमेरिका पाकिस्तान में निवेश और सुरक्षा सहयोग को दोबारा शुरू करने के संकेत भी दे रहा है.
विशेषज्ञों की चेतावनी
अटलांटिक काउंसिल के माइकल कुगेलमैन का कहना है कि अगर पाकिस्तान अमेरिकी योजना से पीछे हटता है, तो वाशिंगटन में निराशा बढ़ सकती है. इसका असर आर्थिक और सैन्य सहयोग पर पड़ सकता है. वहीं रक्षा विश्लेषक आयशा सिद्दीका मानती हैं कि पाकिस्तान की सैन्य क्षमता ट्रंप को आकर्षित करती है.
सरकारी रुख अभी साफ नहीं
पाकिस्तानी सेना और विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि, विदेश मंत्री इशाक डार पहले ही साफ कर चुके हैं कि शांति मिशन पर विचार हो सकता है, लेकिन हमास को निरस्त्र करना पाकिस्तान की जिम्मेदारी नहीं है. आने वाले दिनों में मुनीर की बातचीत पाकिस्तान की दिशा तय कर सकती है.