खालिस्तानियों के कनाडा में लद गए दिन! भारत विरोधी जगमीत सिंह की हुई करारी हार

Published on: 29 Apr 2025 | Author: Princy Sharma
कनाडा के साल 2025 के आम चुनावों में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) और उसके नेता जगमीत सिंह को जबरदस्त झटका लगा है. पार्टी की सीटें 343 में से सिर्फ सिंगल डिजिट यानी 9 तक सिमट गईं, जिससे पार्टी आधिकारिक राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी खो बैठी. यह गिरावट 2019 के 25 सीटों से भारी गिरावट मानी जा रही है/
NDP को यह झटका ऐसे समय में लगा है जब देश में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक नीति, ट्रेड तनाव और अनेक्शन की धमकियों से डर का माहौल था. ऐसे में वोटरों ने स्थिरता और मजबूत नेतृत्व के लिए मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी की ओर रुख किया, जिसने अल्पमत सरकार बनाते हुए चुनाव में जीत हासिल की.
जगमीत सिंह ने की इस्तीफे की घोषणा
इस हार के बाद जगमीत सिंह ने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि वह पार्टी के लिए अंतरिम नेता चुने जाने के बाद पद छोड़ देंगे. उन्होंने कहा, 'राजनीति में आना एक त्याग है, लेकिन हम अपने देश को बेहतर बनाने का सपना लेकर आते हैं. हार तभी होती है जब हम मान लेते हैं कि हम बदलाव नहीं ला सकते.'
संसद में नहीं मिलेगा बोलने का समय
NDP के लिए यह हार केवल संख्या की नहीं बल्कि प्रतिष्ठा की भी है, क्योंकि 12 सीटें न होने के कारण पार्टी को अब संसद में न तो पर्याप्त बोलने का समय मिलेगा, न ही फंडिंग और कमेटियों में हिस्सेदारी. इस गिरावट के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं – एक ओर जहां कंजरवेटिव पार्टी के नेता पियरे पोएलिएव्रे ने मजबूत वापसी की, वहीं लिबरल पार्टी के नए नेता मार्क कार्नी ने NDP के परंपरागत वोटरों को भी अपनी ओर खींच लिया.
जगमीत सिंह के हार का कारण
लेकिन इस जगमीत सिंह के हार में जगमीत सिंह के खालिस्तान से जुड़े विवाद ने भी बड़ा रोल निभाया. खालसा डे रैलियों में उनकी मौजूदगी, जहां खुलेआम खालिस्तान के समर्थन में नारे लगते हैं और एयर इंडिया धमाके के दोषी तालविंदर सिंह परमार पर उनके बयान, लोगों को चौंकाते रहे हैं. उनके आलोचकों का कहना है कि वह कभी भी इस मुद्दे पर स्पष्ट और सख्त रुख नहीं ले पाए, जिससे आम वोटर उनसे दूर हो गए.
2017 में NDP की कमान संभालने वाले जगमीत सिंह कनाडा के पहले सिख नेता थे जिन्होंने किसी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी का नेतृत्व किया. शुरुआत में उन्होंने जस्टिन ट्रूडो की लिबरल सरकार को बाहर से समर्थन दिया, लेकिन बाद में वह अलग हो गए.