ऑटो ड्राइवर की बेटी ने रचा इतिहास, यूपीएससी पास कर अदीबा अनम बनीं महाराष्ट्र की पहली मुस्लिम महिला टॉपर

Published on: 29 Apr 2025 | Author: Garima Singh
UPSC Civil Services Exam: ‘जहां चाह, वहां राह’, इस कहावत को साकार कर दिखाया है महाराष्ट्र के यवतमाल की अदीबा अनम ने. एक ऑटोरिक्शा चालक की बेटी अदीबा ने अपने चौथे प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2024 पास कर इतिहास रच दिया. 142वीं रैंक हासिल कर वह महाराष्ट्र की पहली मुस्लिम महिला आईएएस बन गईं. उनकी यह उपलब्धि दृढ़ संकल्प और मेहनत की जीवंत मिसाल है.
अदीबा का परिवार आर्थिक तंगी से जूझता रहा, लेकिन शिक्षा के प्रति उनकी आस्था कभी नहीं डगमगाई. उनके पिता अशफाक अहमद ने ऑटोरिक्शा चलाया, ताकि परिवार का भरण-पोषण हो सके. फिर भी, उन्होंने अदीबा को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया. अदीबा ने यवतमाल के स्थानीय सरकारी स्कूलों से पढ़ाई शुरू की और पुणे के इनामदार सीनियर कॉलेज से गणित में बीएससी की पढ़ा पूरी की. यहीं से उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी.
Today, the final result of the Union Public Service Commission (UPSC 2024) has been declared. Adiba Anam Ashfaq Ahmed from Yavatmal district of Maharashtra has secured 142nd rank from all over India. Earlier, Adiba had given an interview to UPSC, but was not selected for the… pic.twitter.com/O5KKbkVfHO
— Manikrao Thakare (@Manikrao_INC) April 22, 2025
असफलताओं से सफलता की ओर
अदीबा की यूपीएससी यात्रा आसान नहीं थी. तीन बार असफल होने के बाद, एक बार वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंचीं, लेकिन अंतिम चयन से चूक गईं. फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी। अदीबा ने अपनी कमियों को सुधारा और चौथे प्रयास में पूरी ताकत झोंक दी. उनकी मेहनत रंग लाई और 2024 में उन्होंने 142वीं रैंक हासिल की. उनकी सफलता में हज हाउस आईएएस प्रशिक्षण संस्थान और जामिया आवासीय कोचिंग अकादमी का महत्वपूर्ण योगदान है.
शिक्षा और मेहनत की ताकत
अदीबा ने ज़फ़रनगर जिला परिषद उर्दू प्राथमिक विद्यालय से अपनी शैक्षणिक नींव रखी और कठिन परिस्थितियों में भी पढ़ाई को प्राथमिकता दी. उनकी यह यात्रा उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों में बड़े सपने देखते हैं.
प्रशंसा और गौरव का क्षण
अदीबा की उपलब्धि पर बधाइयों का सिलसिला जारी है. महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री माणिकराव ठाकरे ने सोशल मीडिया पर लिखा, “अदीबा का चयन यवतमाल और पूरे महाराष्ट्र के लिए गौरव का क्षण है.” उनकी इस सफलता ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समुदाय को गर्व से भर दिया.