प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर दिल्ली सरकार ने लगाई लगाम, फीस को लेकर लाने जा रही है कानून

Published on: 29 Apr 2025 | Author: Mayank Tiwari
दिल्ली कैबिनेट ने मंगलवार (29 अप्रैल) को राजधानी में निजी और सरकारी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने वाले मसौदा विधेयक को मंजूरी दी. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इसे “नन्हा और ऐतिहासिक” कदम बताते हुए कहा कि दिल्ली स्कूल शिक्षा शुल्क निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता विधेयक, 2025 से अभिभावकों की चिंताओं का समाधान होगा. इस दौरान सीएम रेखा गुप्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि फीस वृद्धि के नाम पर अभिभावकों में “आतंक” और छात्रों का “उत्पीड़न” होने की शिकायतों के बाद यह कदम उठाया गया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने कहा, “दिल्ली की पिछली सरकारों ने फीस वृद्धि रोकने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया. जहां प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि को रोकने के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं था. ऐसे में” इस विधेयक का उद्देश्य स्कूलों में पारदर्शी और नियंत्रित फीस प्रणाली स्थापित करना है.
अभिभावकों लगातार कर रहे विरोध
पिछले कुछ हफ्तों में दिल्ली के कई अभिभावकों ने शिक्षा निदेशालय के ऑफिस के बाहर फीस बढ़ोत्तरी वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. इसके जवाब में, 16 अप्रैल को निदेशालय ने अनधिकृत रूप से फीस बढ़ाने वाले गैर-मदद प्राप्त प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की, जिसमें स्कूलों की मान्यता रद्द करने और प्रबंधन को अपने नियंत्रण में लेने की प्रक्रिया शामिल है.
जानें शिक्षा मंत्री ने क्या दिया बयान?
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने पीटीआई को बताया कि विधेयक को लागू करने से पहले 18 प्रावधानों पर समीक्षा की जाएगी और फीस वृद्धि तीन साल में होगी. उन्होंने कहा, “विधेयक जल्द ही पेश और पारित किया जाएगा. अभिभावक, शिक्षक और प्रबंधन मिलकर फीस को नियंत्रित करेंगे. हम इसे 18 प्रावधानों पर समीक्षा करेंगे और लागू करेंगे. फीस वृद्धि तीन साल में होगी. उल्लंघन करने वाले स्कूलों को सरकार अपने नियंत्रण में लेगी. उन्होंने यह भी बताया कि विधेयक में फीस वृद्धि नियंत्रण के लिए तीन-स्तरीय समितियों के गठन का प्रस्ताव है.
अभिभावकों ने की शिकायतें
अभिभावकों और छात्रों की बढ़ती शिकायतों के बाद दिल्ली सरकार ने मनमानी और अत्यधिक फीस वृद्धि करने वाले स्कूलों पर शिकंजा कसा. इन बढ़ोत्तरी के चलते अभिभावकों की जेब पर भारी बोझ डाला, जिसके चलते उन्होंने “फीस वृद्धि बंद करो, अभिभावक एटीएम नहीं हैं” और “शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है” जैसे नारों के साथ प्रदर्शन किया.