उठेगी लहर और समुद्र में समां जाएगा पूरा का पूरा देश, जानें दुनिया के किस राष्ट्र में शामिल होगी PM समेत पूरी जनता

Published on: 07 Aug 2025 | Author: Garima Singh
Tavalu Australia Agreement: प्रशांत महासागर के बीच बसा तवालु, नौ छोटे-छोटे द्वीपों का एक खूबसूरत देश, जो आज एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है. यह देश, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, अब समुद्र के बढ़ते जलस्तर के कारण अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. आश्चर्यजनक रूप से, तवालु अब ऑस्ट्रेलिया की ओर माइग्रेट होने की तैयारी में है. आइए, इस अनोखी कहानी और इसके पीछे के कारणों को विस्तार से समझते हैं.
तवालु, जो प्रशांत महासागर में स्थित है, समुद्र तल से केवल दो मीटर की ऊंचाई पर बचा है. वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे यह छोटा सा देश डूबने की कगार पर पहुंच गया है. तवालु के नौ द्वीपों में से दो पहले ही समुद्र की लहरों में समा चुके हैं. बाढ़ और तूफानों का खतरा यहां के निवासियों के लिए रोजमर्रा की चुनौती बन गया है. नासा सहित कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगले 30 वर्षों में तवालु पूरी तरह से समुद्र में विलीन हो सकता है.
जनसंख्या और पलायन की चुनौती
तवालु की कुल जनसंख्या लगभग 11,000 है, और यहां के निवासी धीरे-धीरे अपने देश को छोड़कर अन्य देशों में पलायन कर रहे हैं. इस संकट ने न केवल उनकी आजीविका को प्रभावित किया है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक संरचना को भी खतरे में डाल दिया है. इस स्थिति ने वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है, और कई देश तवालु के भविष्य को लेकर स्टडी कर रहे हैं. हालांकि, एक सवाल जो अभी भी अनुत्तरित है, वह यह है कि पलायन के बाद तवालु के प्रधानमंत्री और अन्य शीर्ष अधिकारियों का भविष्य क्या होगा?
ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौता
तवालु ने अपने पड़ोसी देश ऑस्ट्रेलिया के साथ 2023 में एक ऐतिहासिक समझौता किया, जिसके तहत हर साल 280 तवालु नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया में माइग्रेट किया जाएगा. इस माइग्रेशन की पहली खेप 16 से 18 जुलाई के बीच ऑस्ट्रेलिया पहुंची. ऑस्ट्रेलिया ने तवालु के नागरिकों को सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जीने का आश्वासन दिया है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस पलायन के बाद तवालु की सरकार और उसके नेतृत्व का क्या होगा. तवालु के प्रधानमंत्री फेलेती तियो ने वैश्विक समुदाय से इस संकट पर ध्यान देने की अपील की है. उन्होंने कहा, “यह मामला केवल हमारे देश का नहीं, बल्कि पूरी मानवता का है. हमें एकजुट होकर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कदम उठाने होंगे.”