नरम, गरम और बेहद खास', जानिए क्यों PM मोदी का ये तोहफा बना चर्चा का विषय

Published on: 03 Jul 2025 | Author: Kuldeep Sharma
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों पांच देशों की यात्रा पर हैं, जिसकी शुरुआत उन्होंने घाना से की. अपनी इस ऐतिहासिक यात्रा के पहले पड़ाव पर पीएम मोदी ने घाना के शीर्ष नेताओं को विशेष भारतीय कलाकृतियां उपहार में देकर भारत की समृद्ध संस्कृति और कारीगरी का परिचय कराया. इन उपहारों में हर एक की एक खास पहचान है और वह भारत की पारंपरिक शिल्पकला का प्रतीक है.
प्रधानमंत्री मोदी ने घाना के राष्ट्रपति को कर्नाटक की प्रसिद्ध बिदरी कला से निर्मित सुंदर फूलदान भेंट किया. यह फूलदान बीदर के कुशल कारीगरों द्वारा हाथ से बनाए जाते हैं और मुख्य रूप से जस्ता और तांबे की मिश्र धातु से तैयार किए जाते हैं. इन पर काले रंग की पृष्ठभूमि पर चांदी की बारीक जड़ाई की जाती है, जो इसे एक खास आकर्षण देती है. फूलों की कलात्मक आकृतियों के साथ यह फूलदान भारत की समृद्ध धातु शिल्प परंपरा को दर्शाता है.
राष्ट्रपति की पत्नी को भेंट किया चांदी का पर्स
पीएम मोदी ने घाना के राष्ट्रपति की पत्नी को ओडिशा की पारंपरिक सिल्वर फिलिग्री शिल्प से बना सुंदर चांदी का पर्स उपहार स्वरूप दिया. कटक की यह तारकशी कला 500 साल पुरानी है, जिसमें महीन चांदी के तारों से फूल और बेल की आकृतियां बनाई जाती हैं. यह पर्स पूरी तरह हाथ से बनाया गया है और आधुनिक शैली में पारंपरिक शिल्प को समाहित करता है. इस तरह के उपहार आधुनिकता और परंपरा के अद्भुत संगम को दर्शाते हैं.
उपराष्ट्रपति और स्पीकर को भी दिए खास तोहफे
घाना के उपराष्ट्रपति को प्रधानमंत्री मोदी ने एक शानदार कश्मीरी पश्मीना शॉल भेंट किया है. यह शॉल चंगथांगी बकरी की ऊन से बनी होती है और अपने हल्केपन, गर्माहट और मुलायम बनावट के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. यह कश्मीरी कारीगरों की सदियों पुरानी बुनाई कला का प्रतीक है.
वहीं, घाना की संसद के स्पीकर को पीएम मोदी ने लघु हाथी अंबावारी भेंट की, जिसे पश्चिम बंगाल के शिल्पकारों ने हाथ से बनाया है. यह कलाकृति पारंपरिक शाही सवारी ‘अंबावारी’ का प्रतीक है और सिंथेटिक हाथीदांत से बनी होती है, जो पर्यावरण के अनुकूल और नैतिक रूप से उचित है. यह उपहार भारतीय कला, शाही संस्कृति और टिकाऊ परंपराओं की पहचान है.