अमेरिका-चीन में टैरिफ को लेकर बनती दिख रही बात, भारत के लिए मुश्किल होते जा रहे हालात, सोचने पर मजबूर हुए नीति निर्माता

Published on: 15 Jun 2025 | Author: Gyanendra Sharma
अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए टैरिफ में हालिया बदलाव ने नई दिल्ली में नीति निर्माताओं को फिर से गणना करने के लिए प्रेरित किया है. खास तौर पर, अमेरिकी बंदरगाहों पर चीनी उत्पादों पर प्रभावी टैरिफ और उन वस्तुओं में भारत की प्रतिस्पर्धी स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जहां भारतीय निर्माता मजबूत स्थिति में हैं. भारत और चीन के बीच टैरिफ अंतर का रुझान नीति निर्माताओं के लिए अहम है, क्योंकि यह माना जाता है कि वाशिंगटन डीसी भारत और चीन के बीच उचित टैरिफ अंतर सुनिश्चित करेगा.
यह अंतर भारत की संरचनात्मक कमियों जैसे बुनियादी ढांचे की बाधाएं, लॉजिस्टिक्स समस्याएं, उच्च ब्याज लागत, और भ्रष्टाचार को संतुलित करने में मदद कर सकता है.
ट्रंप की टैरिफ नीति और भारत के लिए अवसर
राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की कि चीन पर 55% टैरिफ लगाया जाएगा, जो भारत पर मौजूदा 26% टैरिफ की तुलना में लगभग 30% का अंतर दर्शाता है. हालांकि, इसमें कुछ जटिलताएं हैं. ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीतियां अक्सर अल्पकालिक रही हैं, और लंदन में हाल की वार्ताओं के बाद घोषित नए टैरिफ की अवधि अनिश्चित है.
इसके अलावा, मई में जेनेवा में हुई वार्ताओं में अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर टैरिफ 145% से घटाकर 30% किया था, जबकि चीन ने अमेरिकी आयात पर टैरिफ 10% तक कम किया और महत्वपूर्ण खनिज निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का वादा किया.
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “हमें कुल 55% टैरिफ मिल रहा है, चीन को 10%. रिश्ता शानदार है!” हालांकि, यह अंतिम स्वीकृति दोनों देशों के राष्ट्रपतियों पर निर्भर है.
चीन की रणनीति और दुर्लभ खनिजों का दबदबा
चीन ने अमेरिकी ऑटोमेकर्स और निर्माताओं के लिए दुर्लभ खनिजों और मैग्नेट के निर्यात लाइसेंस पर छह महीने का प्रतिबंध लगा दिया है. विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम बीजिंग को व्यापार वार्ताओं में अतिरिक्त लाभ देगा और अमेरिकी उद्योगों के लिए अनिश्चितता बढ़ाएगा.
दुर्लभ खनिज मैग्नेट, विशेष रूप से नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB) मैग्नेट, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं. ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक मोटरों, पावर स्टीयरिंग सिस्टम, और ब्रेकिंग सिस्टम में अहम भूमिका निभाते हैं. चीन का इन खनिजों पर लगभग एकाधिकार है.
भारत के लिए संभावनाएं
भारत के लिए सकारात्मक पहलू यह है कि अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता, जो 19 जुलाई से पहले अंतिम रूप ले सकती है, भारत पर टैरिफ को 26% से घटाकर 10% के करीब ला सकती है. हालांकि, चीन की व्यापार वार्ताओं में बढ़त के कारण उसके टैरिफ में और कमी की संभावना है, जो भारत के लिए चुनौती हो सकती है.
लंदन वार्ताओं में चीन ने दुर्लभ खनिजों पर प्रतिबंधों का उपयोग कर अपनी स्थिति मजबूत की, जिसके चलते अमेरिकी कार निर्माताओं जैसे फोर्ड और क्रिसलर को उत्पादन में कटौती करनी पड़ी.
भारत के लिए यह एक अवसर है कि वह अपनी व्यापार रणनीति को और मजबूत करे, लेकिन चीन की रणनीतिक बढ़त और अमेरिका की निर्भरता इसे जटिल बनाती है. नीति निर्माताओं को सतर्कता के साथ इस बदलते परिदृश्य में भारत की स्थिति को मजबूत करने की जरूरत है.