US में फिर गरमाई सियासत, कैलिफोर्निया के साथ 18 अन्य राज्य देगें ट्रंप के 1 लाख डॉलर के वीजा फीस को चुनौती
Published on: 13 Dec 2025 | Author: Km Jaya
नई दिल्ली: अमेरिका में H-1B वीजा को लेकर एक बड़ा कानूनी विवाद खड़ा हो गया है. कैलिफोर्निया के साथ 18 अन्य अमेरिकी राज्यों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा H-1B वीजा फीस को 1 लाख डॉलर तक बढ़ाने के फैसले को अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है. इन राज्यों का कहना है कि इतनी अधिक फीस न केवल कानून के खिलाफ है बल्कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था और जरूरी सेवाओं पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा.
कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बॉन्टा के कार्यालय के अनुसार यह मुकदमा शुक्रवार को मैसाचुसेट्स की फेडरल कोर्ट में दायर किया जाएगा. इस कानूनी कार्रवाई में न्यूयॉर्क, मैसाचुसेट्स, इलिनॉय, न्यू जर्सी और वॉशिंगटन जैसे बड़े राज्य भी शामिल हैं. यह मुकदमा H-1B वीजा फीस बढ़ाने के फैसले को रोकने के उद्देश्य से दायर किया जा रहा है.
कब का है यह मामला?
दरअसल सितंबर में ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा आवेदन शुल्क को बढ़ाकर 1 लाख डॉलर करने की घोषणा की थी. अभी तक नियोक्ताओं को H-1B वीजा के लिए करीब 2 हजार से 5 हजार डॉलर तक फीस चुकानी पड़ती थी. राज्यों का कहना है कि अचानक इतनी बड़ी बढ़ोतरी से विदेशी कुशल कामगारों की भर्ती लगभग असंभव हो जाएगी.
अटॉर्नी जनरल के कार्यालय की ओर से क्या बताया गया?
कैलिफोर्निया अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने कहा है कि राष्ट्रपति को H-1B वीजा जैसी व्यवस्था पर मनमाने ढंग से शुल्क लगाने का अधिकार नहीं है. उनका तर्क है कि संघीय कानून के तहत इमिग्रेशन एजेंसियां केवल उतनी ही फीस वसूल सकती हैं, जितनी वीजा प्रोग्राम के संचालन की लागत को पूरा करने के लिए जरूरी हो. 1 लाख डॉलर की फीस इस दायरे से बाहर है.
किन क्षेत्रों पर पड़ेगा इसका असर?
कैलिफोर्निया अमेरिका की कई बड़ी टेक कंपनियों का मुख्यालय है और यहां की अर्थव्यवस्था H-1B वीजा पर आने वाले कुशल विदेशी कर्मचारियों पर काफी हद तक निर्भर करती है. बॉन्टा ने कहा कि इतनी ज्यादा फीस से शिक्षा, स्वास्थ्य और तकनीक जैसे क्षेत्रों में जरूरी सेवाएं देने वाले संस्थानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा.
इससे पहले भी इस फैसले के खिलाफ अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स और यूनियनों, नियोक्ताओं व धार्मिक संगठनों के एक गठबंधन ने अलग-अलग मुकदमे दायर किए हैं. वहीं व्हाइट हाउस का कहना है कि यह फीस H-1B वीजा के दुरुपयोग को रोकने के लिए लगाई गई है और यह राष्ट्रपति की शक्तियों के तहत एक वैध कदम है.