'ना कैंसर होता है, ना कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है...', अपोलो अस्पताल के कार्डियक सर्जन ने खारिज किए पाम ऑयल से जुड़े चार मिथक
Published on: 13 Dec 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
पाम ऑयल को लेकर लंबे समय से स्वास्थ्य से जुड़ी शंकाएं बनी हुई हैं. कभी इसे दिल के लिए खतरनाक बताया जाता है, तो कभी कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाला कहा जाता है. इन भ्रमों के बीच सच्चाई जानना जरूरी हो जाता है. इन्हीं सवालों के जवाब देने के लिए इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ. वरुण बंसल ने पाम ऑयल से जुड़े आम मिथकों पर वैज्ञानिक दृष्टि से प्रकाश डाला है.
मिथक 1: पाम ऑयल अस्वस्थ होता है
डॉ. बंसल के अनुसार, पाम ऑयल को केवल संतृप्त वसा (सैचुरेटेड फैट) के कारण अस्वस्थ मान लेना गलत है. उन्होंने कहा कि संतुलित आहार के हिस्से के रूप में इसका उपयोग सुरक्षित है. इसका उच्च स्मोक पॉइंट और स्थिरता इसे भारतीय खाना पकाने के लिए उपयुक्त बनाती है.
मिथक 2: पाम ऑयल में कोलेस्ट्रॉल होता है
अक्सर माना जाता है कि पाम ऑयल कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है, जबकि सच्चाई इसके विपरीत है. डॉ. बंसल ने स्पष्ट किया कि सभी वनस्पति तेलों की तरह पाम ऑयल भी पूरी तरह कोलेस्ट्रॉल-फ्री होता है. कुल आहार की गुणवत्ता ही रक्त में कोलेस्ट्रॉल को प्रभावित करती है.
मिथक 3: पाम ऑयल दिल के लिए हानिकारक है
दिल की बीमारियों से जोड़कर पाम ऑयल को लेकर कई आशंकाएं हैं. डॉ. बंसल ने बताया कि इसमें मौजूद टोकोट्रायनॉल्स एंटीऑक्सिडेंट गुण रखते हैं. वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, संतुलित मात्रा में सेवन करने से हृदय रोग का खतरा नहीं बढ़ता.
मिथक 4: पाम ऑयल कैंसर का कारण बनता है
डॉक्टर ने इस धारणा को भी खारिज किया. उन्होंने कहा कि कोई भी तेल बार-बार अधिक तापमान पर गर्म करने या दोबारा इस्तेमाल करने से हानिकारक हो सकता है. यह जोखिम सभी तेलों में समान है, केवल पाम ऑयल तक सीमित नहीं.
सही उपयोग और संतुलन है जरूरी
डॉ. बंसल के मुताबिक, पाम ऑयल को तलने, भूनने और बेकिंग में इस्तेमाल किया जा सकता है. रोजाना कुल तेल की मात्रा 2 से 3 चम्मच प्रति व्यक्ति पर्याप्त है. उन्होंने सलाह दी कि पाम ऑयल को सरसों, नारियल या ऑलिव ऑयल के साथ मिलाकर इस्तेमाल करना बेहतर संतुलन देता है.