लियोनल मेसी हैं असली गुनहगार! कोलकाता स्टेडियम में तोड़फोड़ के बाद ऑर्गेनाइजर को गिरफ्तार करने पर भड़के सुनील गावस्कर
Published on: 16 Dec 2025 | Author: Praveen Kumar Mishra
नई दिल्ली: कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम में लियोनल मेसी के कार्यक्रम के दौरान हुई अफरा-तफरी ने पूरे देश में चर्चा छेड़ दी है. हजारों प्रशंसक अपने चहेते फुटबॉल स्टार को देखने आए थे लेकिन कार्यक्रम जल्दी खत्म हो गया.
नाराज फैंस ने स्टेडियम में कुर्सियां तोड़ीं और बोतलें फेंकीं. इस हंगामे के बाद आयोजक सतद्रु दत्ता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. अब इस मामले में पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान सुनील गावस्कर ने बड़ा बयान दिया है.
कोलकाता में क्या हुआ था?
13 दिसंबर को मेसी अपने साथियों लुइस सुआरेज और रोड्रिगो डे पॉल के साथ कोलकाता पहुंचे. यह कार्यक्रम फैंस के लिए दो घंटे का बताया गया था लेकिन मेसी सिर्फ 20-22 मिनट ही मैदान पर रुके.
मैदान पर राजनीतिज्ञों, वीआईपी और सुरक्षा कर्मियों की भीड़ इतनी थी कि फैंस को मेसी की ठीक से झलक भी नहीं मिली. आयोजक बार-बार अनाउंसमेंट कर रहे थे कि मैदान खाली करें लेकिन कोई असर नहीं हुआ.
मेसी के जाने के बाद हुआ हंगामा
आखिर में मेसी जल्दी चले गए. बाहर नाराज फैंस ने हंगामा शुरू कर दिया. स्टेडियम की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. पुलिस ने आयोजक सतद्रु दत्ता को एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया, जब वे मेसी को विदा करने गए थे. कई लोग राजनीतिज्ञों और वीआईपी को दोष दे रहे हैं लेकिन गावस्कर इससे सहमत नहीं हैं.
गावस्कर ने मेसी को क्यों ठहराया जिम्मेदार?
सुनील गावस्कर ने स्पोर्टस्टार में अपने कॉलम में लिखा कि सबको दोष दिया जा रहा है, सिवाय उस व्यक्ति के जिसने अपना वादा नहीं निभाया. उनका कहना है कि अगर मेसी ने तय समय तक रहने का वादा किया था लेकिन जल्दी चले गए, तो असली गुनहगार मेसी और उनका दल है.
गावस्कर ने कहा, "सुरक्षा का कोई खतरा नहीं था. मेसी आसानी से मैदान का चक्कर लगा सकते थे या पेनाल्टी किक ले सकते थे. इससे वीआईपी को हटना पड़ता और फैंस को अपना हीरो देखने का मौका मिलता."
गावस्कर ने हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली की दिलाई याद
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि मेसी के हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली के कार्यक्रम बिना किसी समस्या के सफल रहे. इससे साबित होता है कि अगर वादे निभाए जाते, तो कोलकाता में भी सब ठीक रहता.
गावस्कर का मानना है कि आयोजकों को दोष देने से पहले यह जांच करनी चाहिए कि दोनों पक्षों ने अपने वादे पूरे किए या नहीं. वे आयोजकों का बचाव कर रहे हैं और कह रहे हैं कि सिर्फ भारतीयों को दोष देना गलत है.