इस राज्य में नहीं बढ़ाए जाएंगे शराब के दाम, हाईकोर्ट ने अधिसूचना पर लगाई रोक
Published on: 16 Dec 2025 | Author: Anuj
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें प्रदेश में शराब की कीमतें बढ़ाने का निर्णय लिया गया था. यह मामला उत्तराखंड की एक शराब बनाने वाली कंपनी की ओर से अदालत में चुनौती देकर उठाया गया था. इस पूरे मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक माहरा ने की.
राज्य सरकार ने जारी की थी अधिसूचना
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार ने 28 नवंबर को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें शराब के दाम बढ़ाने का फैसला लिया गया था. याचिकाकर्ता का तर्क था कि सरकार एक्साइज वर्ष के बीच में इस तरह का बदलाव नहीं कर सकती. उनके अनुसार, आबकारी नीति एक पूरे वित्तीय या एक्साइज वर्ष के लिए बनाई जाती है और बीच में शराब के दाम बढ़ाना नियमों के खिलाफ है.
याचिकाकर्ता ने दिया ये तर्क
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि केवल एक नोटिफिकेशन जारी करके उत्तराखंड की आबकारी नीति या नियमावली में बदलाव नहीं किया जा सकता. इसके लिए एक तय प्रक्रिया होती है, जिसमें नियमों का मसौदा तैयार करना, उस पर आपत्तियां आमंत्रित करना और फिर विधिवत संशोधन लागू करना शामिल होता है. बिना इस प्रक्रिया को अपनाए कीमतों में बढ़ोतरी करना कानूनी रूप से सही नहीं है.
राज्य सरकार ने दी दलील
वहीं, राज्य सरकार की ओर से अदालत में दलील दी गई कि सरकार को शराब से जुड़े मामलों में निर्णय लेने का पूरा अधिकार है. सरकार ने कहा कि राजस्व बढ़ाने के लिए यह फैसला जरूरी था और नियमों के तहत ही यह कदम उठाया गया है. हालांकि, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 28 नवंबर को जारी अधिसूचना पर फिलहाल रोक लगा दी.
एक्साइज ड्यूटी पर 12 प्रतिशत की दर से वैट
गौरतलब है कि 28 नवंबर को उत्तराखंड आबकारी विभाग ने एक आदेश जारी किया था, जिसके तहत वैट को एक्साइज ड्यूटी के बाद लगाने के निर्देश दिए गए थे. इस व्यवस्था के तहत एक्साइज ड्यूटी पर भी 12 प्रतिशत की दर से वैट लगाया जाना था. इसका सीधा असर शराब की कीमतों पर पड़ता और शराब पहले से ज्यादा महंगी हो जाती.
'राजस्व राज्य की आय का एक बड़ा स्रोत है'
सरकार का तर्क था कि आमतौर पर वैट को आखिरी टैक्स के रूप में लगाया जाता है, लेकिन वर्तमान व्यवस्था में वैट एक्साइज ड्यूटी से पहले लगने के कारण राज्य को अपेक्षित राजस्व नहीं मिल पा रहा था. सरकार के अनुसार, शराब से मिलने वाला राजस्व राज्य की आय का एक बड़ा स्रोत है और इसमें कमी आना चिंता का विषय है.
इस बदलाव के लागू होने से राज्य को अधिक राजस्व मिलने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन साथ ही यह भी माना जा रहा था कि कीमतें बढ़ने से शराब की बिक्री पर असर पड़ सकता है. फिलहाल, हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार का यह फैसला रुक गया है और अब आगे की सुनवाई के बाद ही यह तय होगा कि शराब के दाम बढ़ाए जा सकेंगे या नहीं.