अधिकारियों को बुलाने के लिए अनुमति के आदेश पर भड़के AAP विधायक संजीव झा

Published on: 07 Aug 2025 | Author: Kuldeep Sharma
दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन गुरुवार को बुराड़ी से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक संजीव झा ने एक गंभीर मुद्दा उठाया. उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा जारी एक आदेश की आलोचना की, जिसमें कहा गया है कि विधायक या मंत्री को किसी डीएम या एसडीएम को मीटिंग के लिए बुलाने से पहले मुख्य सचिव की अनुमति लेनी होगी.
झा ने इसे न केवल जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का हनन बताया, बल्कि इसे लोकतंत्र और विधानसभा की गरिमा के खिलाफ भी करार दिया. उन्होंने इस मुद्दे पर विशेषाधिकार हनन का नोटिस देकर विधानसभा अध्यक्ष से हस्तक्षेप की मांग की.
अधिकारियों की अनदेखी का आरोप
संजीव झा ने सदन में कहा कि मुख्यमंत्री का यह आदेश नौकरशाही को जनप्रतिनिधियों के काम में बाधा डालने का एक नया बहाना दे रहा है. उन्होंने बताया कि वह स्वयं एक जिलाधिकारी (डीएम) को फोन कर रहे थे, लेकिन वह उनका फोन नहीं उठा रहे थे. झा ने आरोप लगाया कि इस आदेश के बाद डीएम और एसडीएम जैसे अधिकारी फोन न उठाने का बहाना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि नौकरशाही हमेशा जनप्रतिनिधियों के काम को रोकने के लिए ऐसे अवसरों की तलाश में रहती है, और यह आदेश उन्हें ऐसा करने का मौका दे रहा है.
सदन की अवमानना का दावा
झा ने इस आदेश को दिल्ली विधानसभा की अवमानना करार दिया. उन्होंने कहा कि यह आदेश न केवल सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों, बल्कि मंत्रियों के अधिकारों पर भी हमला है. उन्होंने जोर देकर कहा कि कार्यकारिणी द्वारा विधानमंडल को नियंत्रित करने की कोशिश लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है. झा ने विधानसभा अध्यक्ष से अपील की कि वह इस आदेश को रद्द करने का निर्देश सरकार को दें, क्योंकि यह न केवल सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि अध्यक्ष की कुर्सी का भी अपमान करता है.
लोकतंत्र पर खतरे की चेतावनी
संजीव झा ने चेतावनी दी कि अगर कार्यकारिणी इस तरह विधानमंडल को नियंत्रित करने की कोशिश करेगी, तो लोकतंत्र की पूरी परिभाषा ही खतरे में पड़ जाएगी. उन्होंने कहा कि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का अपमान संविधान का अपमान है, क्योंकि लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च होती है. झा ने विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वह सदन और इसके सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करें, क्योंकि यह उनकी जिम्मेदारी है. उन्होंने अपने विशेषाधिकार हनन नोटिस पर कार्रवाई की उम्मीद जताई.
आदेश वापस लेने की मांग
झा ने सरकार से तत्काल इस आदेश को वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा कि यह आदेश नौकरशाही को और अधिक शक्तिशाली बनाने का काम कर रहा है, जिससे जनप्रतिनिधियों का काम प्रभावित हो रहा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि जनता की इच्छा और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों की आवाज को दबाने की कोई भी कोशिश संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. झा ने विधानसभा अध्यक्ष से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने और सरकार को इस आदेश को रद्द करने का निर्देश देने की अपील की.