दिल्ली विधानसभा में सीएजी रिपोर्ट पर बहस, AAP नेता आतिशी ने सरकार पर लगाया राजस्व घाटे का आरोप

Published on: 07 Aug 2025 | Author: Kuldeep Sharma
दिल्ली विधानसभा में जब सीएजी की रिपोर्ट पेश कर आम आदमी पार्टी पर हमला बोलने की कोशिश की गई, तब नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने पूरी बहस की दिशा ही बदल दी. उन्होंने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि दिल्ली को उसका हक नहीं मिल रहा, और इस कारण राजधानी को राजस्व घाटे का सामना करना पड़ा है. आतिशी के इन आरोपों से सदन में हंगामा मच गया और उनके माइक तक बंद कर दिए गए.
आतिशी ने भाजपा के इन आरोपों को तथ्यों के बल पर नकार दिया. उन्होंने कहा कि 2019-20 से लेकर 2023-24 तक दिल्ली का टैक्स रेवेन्यू हर साल बढ़ा है. लेकिन केंद्र सरकार ने दिल्ली को उसका हिस्सा नहीं दिया. उन्होंने बताया कि दिल्ली के लोग हर साल केंद्र को 2.25 लाख करोड़ रुपये टैक्स के रूप में देते हैं, पर बदले में दिल्ली को केवल 850 करोड़ रुपये मिलते हैं, वो भी पिछले तीन वर्षों से बंद है.
अन्य राज्यों की तुलना में दिल्ली को हुआ भारी नुकसान
आतिशी ने सदन में अन्य राज्यों का उदाहरण देते हुए बताया कि महाराष्ट्र केंद्र को 7.6 लाख करोड़ टैक्स देता है और बदले में उसे 52,000 करोड़ रुपये मिलते हैं. इसी तरह कर्नाटक 4.5 लाख करोड़ देता है और उसे 45,000 करोड़ मिलते हैं. लेकिन दिल्ली को मात्र 850 करोड़! उन्होंने कहा कि दिल्ली टैक्स देने के मामले में देश में तीसरे स्थान पर है, फिर भी उसे उसका हक नहीं दिया जा रहा. ये केंद्र सरकार का पक्षपातपूर्ण रवैया है.
आतिशी ने लगाया तानाशाही का आरोप
जब आतिशी ने सदन में इन आंकड़ों को रखना शुरू किया, तो भाजपा विधायक विरोध में हंगामा करने लगे. बात इतनी बढ़ गई कि विधानसभा अध्यक्ष को उनका माइक बंद करना पड़ा. इस पर आतिशी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब भाजपा के विधायक राजनीतिक बयान देते हैं तो वह स्वीकार्य होता है, लेकिन विपक्ष की आवाज दबा दी जाती है. उन्होंने इसे तानाशाही करार देते हुए कहा कि माइक बंद करके भाजपा की सच्चाई को छुपाने की कोशिश की गई.
सीएजी रिपोर्ट में क्या है सच्चाई?
सीएजी की रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि दिल्ली सरकार का ऑन टैक्स रेवेन्यू लगातार बढ़ा है. 2021-22 में यह 40,219 करोड़ था, जो 2022-23 में बढ़कर 47,363 करोड़ और 2023-24 में 53,681 करोड़ रुपये हो गया. रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में टैक्स वृद्धि दर 36 प्रतिशत, 2022-23 में 18 प्रतिशत और 2023-24 में 13.34 प्रतिशत रही. इसके बावजूद कुल राजस्व प्राप्ति में कमी इसलिए आई क्योंकि केंद्र सरकार से दिल्ली को मिलने वाला हिस्सा नहीं मिला.
दिल्ली को उसका हक मिले: आतिशी की मांग
आतिशी ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से अपील की कि अब दिल्ली में भाजपा की चार इंजन की सरकार है, तो वह केंद्र से दिल्ली के लिए 50,000 करोड़ रुपये लेकर आएं. उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोग सालाना 2 लाख करोड़ से अधिक इनकम टैक्स और 25,000 करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में केंद्र को देते हैं. इसके बावजूद दिल्ली को ना तो इनकम टैक्स से हिस्सा मिलता है और ना ही जीएसटी में कोई ठोस भागीदारी. उन्होंने कहा कि दिल्ली की आर्थिक वृद्धि के बावजूद अगर घाटा दिख रहा है, तो उसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ केंद्र सरकार की है.
यह पूरी बहस केवल आंकड़ों की लड़ाई नहीं, बल्कि उस अधिकार की मांग है जिसे दिल्ली के लोग वर्षों से नजरअंदाज होते देख रहे हैं. सीएजी रिपोर्ट ने सिर्फ दिल्ली सरकार के आर्थिक प्रबंधन की तस्वीर नहीं पेश की, बल्कि इस बात को भी उजागर किया है कि केंद्र सरकार किस तरह दिल्ली को उसके अधिकार से वंचित कर रही है.