भाजपा के स्कूल फीस बिल के खिलाफ पैरेंट्स का हल्ला बोल, AAP का मिला समर्थन

Published on: 05 Aug 2025 | Author: Kuldeep Sharma
दिल्ली सरकार द्वारा निजी स्कूलों में फीस नियंत्रण को लेकर लाया गया नया विधेयक अब राजनीति और जनविरोध का केंद्र बन गया है. चंदगी राम अखाड़ा के पास सैकड़ों की संख्या में अभिभावकों ने सड़कों पर उतरकर बिल के खिलाफ नारेबाजी की और शिक्षा मंत्री से इस्तीफे की मांग की. अभिभावकों का कहना है कि यह बिल निजी स्कूलों को संरक्षण देने और आम लोगों की आवाज को दबाने के इरादे से लाया गया है.
मंगलवार को यूनाइटेड पैरेंट्स वॉयस के बैनर तले हुए प्रदर्शन में पैरेंट्स ने हाथों में पोस्टर लिए सरकार के खिलाफ जोरदार नारे लगाए. 'बढ़ी फीस वापस लो', 'शिक्षा है व्यापार नहीं' जैसे नारों से चंदगी राम अखाड़ा गूंज उठा. इस दौरान हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया. अभिभावकों ने मांग की कि सरकार बिल को तुरंत वापस ले.
'आप' ने दिया खुला समर्थन
प्रदर्शन को आम आदमी पार्टी ने खुला समर्थन दिया. पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज खुद प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे और अभिभावकों की मांगों के साथ खड़े नजर आए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने जिन अभिभावकों के लिए यह कानून लाया है, उनसे कोई राय-मशविरा नहीं किया गया. यह बिल सीधे तौर पर मध्यम वर्ग के खिलाफ है और केवल स्कूल मालिकों को फायदा पहुंचाने वाला है.
बिल पर सवाल और संशोधन की मांग
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि नए बिल में स्कूलों के ऑडिट का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है. शिकायत करने के लिए 15 प्रतिशत अभिभावकों की अनिवार्यता जैसे प्रावधान, आम लोगों की आवाज दबाने की कोशिश है. उन्होंने कहा कि यदि किसी स्कूल में 3,000 छात्र हैं, तो शिकायत के लिए 450 अभिभावकों की जरूरत होगी, जो असंभव है. उन्होंने सुझाव दिया कि हर स्कूल का वार्षिक ऑडिट कराया जाए और उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए.
भाजपा पर तीखा हमला
आप नेता ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि इस बिल की आड़ में पार्टी निजी स्कूल मालिकों के हित साध रही है. उन्होंने यह भी कहा कि आप द्वारा लाए गए संशोधन प्रस्तावों पर भाजपा के विधायक अगर वोट नहीं देते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि भाजपा आम लोगों के साथ नहीं, बल्कि धन्ना सेठों के साथ खड़ी है. अब दिल्ली की जनता भाजपा के रुख का इंतजार कर रही है.