सर्दियों में जहरीली हवा का कहर, दिल्ली-NCR से लेकर यूपी तक सांस लेना हुआ मुश्किल, चेक करें आज का AQI
Published on: 17 Dec 2025 | Author: Reepu Kumari
नई दिल्ली: सर्दी के मौसम में ठंड के साथ-साथ अब प्रदूषण भी लोगों की मुश्किलें बढ़ा रहा है. उत्तर भारत के कई शहरों में हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है, जिससे आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है. सुबह के समय धुंध और जहरीली हवा ने हालात और गंभीर कर दिए हैं.
मौसम की स्थिरता और कम हवा की रफ्तार के कारण प्रदूषक कण वातावरण में जमा हो रहे हैं. इसका असर खासतौर पर दिल्ली-NCR और उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों में साफ नजर आ रहा है, जहां सांस लेना भी चुनौती बनता जा रहा है.
दिल्ली-NCR में प्रदूषण का गंभीर स्तर
दिल्ली-NCR में बुधवार सुबह वायु गुणवत्ता बेहद खराब दर्ज की गई. नोएडा का AQI 417 तक पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है. दिल्ली का AQI 391 रहा, जो बहुत खराब और गंभीर स्तर की सीमा पर है. ग्रेटर नोएडा में AQI 402, फरीदाबाद में 387 और गुरुग्राम में 370 दर्ज किया गया, जिससे पूरे क्षेत्र में स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ गई है.
अन्य बड़े शहरों की भी खराब हालत
प्रदूषण का असर केवल दिल्ली-NCR तक सीमित नहीं है. चंडीगढ़ में AQI 397 दर्ज किया गया, जबकि लखनऊ की हवा भी 368 के स्तर पर पहुंच गई. जयपुर में AQI 277 रहा, जिसे ‘खराब’ श्रेणी में रखा गया है. भोपाल में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर रही, जहां AQI 228 दर्ज किया गया, लेकिन यह भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जा सकता.
स्वास्थ्य पर बढ़ता खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार, ‘गंभीर’ श्रेणी की हवा हर आयु वर्ग के लिए हानिकारक होती है. इससे सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, सिरदर्द और हृदय से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं. बुजुर्ग, बच्चे, अस्थमा और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.
सरकार ने उठाए सख्त कदम
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सख्त कदम उठाने की घोषणा की है. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि 18 दिसंबर से बिना वैध पीयूसी प्रमाणपत्र वाले वाहनों को पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा. इसके साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई और चालान की प्रक्रिया तेज कर दी गई है.
इलेक्ट्रिक बसों से मिलेगी राहत की उम्मीद
सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने पर भी जोर दिया है. योजना के तहत दिल्ली में 7,500 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी, जिससे वाहनों से होने वाले प्रदूषण में कमी आने की उम्मीद है. इसके अलावा प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों की पहचान कर संबंधित एजेंसियों को समाधान के निर्देश दिए गए हैं.