'आप बहुत बहुत गलत हैं...', SBI मैनेजर के कन्नड़ न बोलने पर मोहनदास पई ने दिया करारा जवाब, कही ये बड़ी बात

Published on: 22 May 2025 | Author: Princy Sharma
कर्नाटका के एक SBI ब्रांच मैनेजर के कन्नड़ में बात करने से इनकार करने को लेकर बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ है. Infosys के एक्स-डायरेक्टर TV मोहनदास पई ने इस घटना को लेकर मैनेजर की कड़ी आलोचना की और इसे बहुत गलत बताया. पई ने कहा कि बिजनेस को हमेशा अपने स्थानीय ग्राहकों से उस भाषा में बात करनी चाहिए, जिसे वे समझते हों. उनका कहना था कि बैंक कर्मचारियों से कन्नड़ सीखने की उम्मीद यह नहीं है कि वे पूरी तरह से फ्लूएंट हो जाएं, बल्कि उन्हें कुछ बुनियादी शब्दों और वाक्यों को जानना चाहिए, ताकि वे सम्मानपूर्वक अपने ग्राहकों से संवाद कर सकें.
मोहनदास पई ने ट्विटर पर इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, 'आप बहुत गलत हैं. हर बिजनेस को अपने स्थानीय ग्राहकों से उनकी समझी हुई भाषा में बात करनी चाहिए. यह अब ब्रिटिश राज नहीं है. यह एक सेवा बिजनेस है. पई ने जोर दिया कि केवल 200 शब्दों का अभ्यास करना मुश्किल नहीं है और यह ग्राहकों को सम्मान देने का तरीका है.
You are very very wrong. Every business must serve its local customers in a language they understand. This is not the British Raj again. This is a service business. Learning say 200 words to converse is difficult?nobody is asking anyone to read and write but converse, learn a few… https://t.co/ipxKUJKPZD
— Mohandas Pai (@TVMohandasPai) May 21, 2025
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब कर्नाटका के सुर्या नगर, अनेकल तालुक स्थित SBI शाखा के एक वीडियो में मैनेजर को यह कहते हुए दिखाया गया,'मैं कन्नड़ कभी नहीं बोलूंगा... यह भारत है.' यह वीडियो वायरल हो गया और कन्नड़ भाषी नागरिकों और कन्नड़ समर्थक समूहों में गुस्से की लहर दौड़ गई. कर्नाटका के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी इस व्यवहार की आलोचना करते हुए इसे बहुत निंदनीय बताया और कहा कि बैंक कर्मचारियों को स्थानीय भाषाओं का सम्मान करना चाहिए.
SBI ने प्रबंधक को किया ट्रांसफर
इस प्रतिक्रिया के बाद, SBI ने प्रबंधक को तुरंत स्थानांतरित कर दिया और एक बयान जारी कर कहा कि ग्राहक भावना को प्रभावित करने वाले किसी भी व्यवहार पर उनकी Zero Tolerance Policy है. इस बीच, प्रबंधक ने कैमरे के सामने माफी भी मांगी. यह मामला अब एक बड़ा मुद्दा बन चुका है और इस पर ऑनलाइन काफी बहस हो रही है. कई लोग मानते हैं कि सेवा प्रदाताओं को स्थानीय भाषाओं में संवाद करने की कोशिश करनी चाहिए, जबकि कुछ का मानना है कि यह विचार संविधान के खिलाफ है.