जेल में बंद खालिस्तानी अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के बाद पहली तस्वीर आई सामने, जानें हाईकोर्ट में पेशी के दौरान कैसे थे तेवर?
Published on: 16 Dec 2025 | Author: Anuj
चंडीगढ़: पंजाब के खडूर साहिब से सांसद और खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह मंगलवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में अपनी जमानत के लिए पेश हुए. अमृतपाल सिंह हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए और अपने मामले की दलीलें भी खुद दी. यह उनकी 2023 में नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत हिरासत में लेने के बाद पहली सार्वजनिक तस्वीर थी. उन्होंने कहा कि उनके जेल में होने से खडूर साहिब का विकास प्रभावित हो रहा है.
खालिस्तानी नेता ने खुद दी दलील
अमृतपाल सिंह ने यह भी बताया कि पहले वकीलों की हड़ताल के कारण उन्होंने अपना केस खुद लड़ने का फैसला किया. उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में बाढ़, ड्रग्स की समस्या और विकास से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए संसद में शामिल होने की अनुमति मांगी. असम की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद सांसद ने हाईकोर्ट को बताया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में सभी विकास कार्य ठप हो गए हैं.
'संसद में मुद्दे उठाने का अधिकार है'
हाईकोर्ट में अपने तर्क में अमृतपाल सिंह ने कहा कि उन्होंने सशर्त जमानत इसलिए मांगी थी ताकि वे अपने संसदीय क्षेत्र और देश के सामने महत्वपूर्ण मुद्दों को उठा सके. उन्होंने न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति संजय बेरी की बेंच के सामने कहा कि भारत के लोकतांत्रिक सिस्टम में एक चुने हुए प्रतिनिधि को संसद में मुद्दे उठाने का अधिकार है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ मामले को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है, जबकि उन्हें संसद में अपने क्षेत्र के विकास और समस्याओं को उठाने का पूरा अधिकार है.
'मौलिक अधिकारों का उल्लंघन'
अमृतपाल सिंह ने अपने हिरासत के नए विस्तार को भी चुनौती दी है. उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उनका नया हिरासत आदेश असंवैधानिक है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. उनका कहना था कि पंजाब सरकार द्वारा एनएसए के तहत दी गई जानकारी में उनकी प्रत्यक्ष संलिप्तता साबित नहीं होती. कुछ घटनाएं तो तब हुई, जब वह पहले से ही जेल में बंद थे, इसलिए उनकी भागीदारी असंभव है.
'ठोस सबूत मौजूद नहीं है'
याचिका में यह भी कहा गया कि पुलिस द्वारा जिन गवाहों पर भरोसा किया जा रहा है, उनके बयान आपस में विरोधाभासी हैं और कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं है. अमृतपाल का कहना है कि राज्य सरकार यह साबित करने में विफल रही है कि उनके मामले में निवारक हिरासत जैसी कड़ी कार्रवाई की जरूरत क्यों है.