पढ़ाई करने रूस गए बेटे को जबरन युद्ध में भेजा, घर पहुंची लाश तो टूट गए मां-बाप; परिवार ने लगाए गंभीर आरोप
Published on: 18 Dec 2025 | Author: Princy Sharma
उधम सिंह नगर: उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के सितारगंज में उस समय दुख की लहर दौड़ गई, जब राकेश कुमार नाम के एक युवक का शव उसके पैतृक गांव पहुंचा. शक्ति फार्म इलाके का रहने वाला राकेश बेहतर भविष्य बनाने के सपने लेकर स्टूडेंट वीजा पर रूस गया था. लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने उसके परिवार और पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया.
परिवार के अनुसार, 30 साल का राकेश कुमार 8 अगस्त 2025 को उच्च शिक्षा के लिए रूस गया था. उसके पिता राजबहादुर मौर्य ने बताया कि राकेश उम्मीदों से भरा था और शुरुआती दिनों में परिवार के साथ रेगुलर संपर्क में था. हालांकि, उसके पहुंचने के तुरंत बाद हालात दुखद हो गए.
जबरदस्ती रूसी सेना में भर्ती कराया
परिवार ने आरोप लगाया कि रूस में राकेश का पासपोर्ट और वीजा जब्त कर लिया गया और उसे जबरदस्ती रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया. 30 अगस्त 2025 को परिवार से आखिरी बातचीत में, राकेश ने कथित तौर पर कहा था कि उसे मिलिट्री ट्रेनिंग दी जा रही है और उसे रूस-यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए भेजा जाएगा. उस कॉल के बाद, परिवार का उससे सारा संपर्क टूट गया.
परिवार ने लगाई मदद की गुहार
चिंतित और बेबस होकर, राकेश का परिवार दिल्ली पहुंचा और भारतीय सरकारी अधिकारियों से संपर्क किया और अपने बेटे को सुरक्षित घर वापस लाने के लिए मदद की गुहार लगाई. अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि राकेश की भारत वापसी सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. दुख की बात है कि कोई भी सकारात्मक नतीजा आने से पहले ही, परिवार को दिल तोड़ने वाली खबर मिली.
अधिकारियों ने सुनाई मौत की खबर
इस महीने की शुरुआत में, अधिकारियों ने परिवार को बताया कि राकेश की युद्ध में मौत हो गई है. इस खबर ने परिवार को तोड़ दिया. 17 दिसंबर 2025 को, राकेश का शव हवाई जहाज से दिल्ली एयरपोर्ट लाया गया और बाद में उसके गृहनगर सितारगंज ले जाया गया.
अंतिम संस्कार में शामिल हुए स्थानीय लोग
बुधवार को, बेहद भावुक माहौल में राकेश कुमार का अंतिम संस्कार शक्ति फार्म के तारकनाथ धाम में किया गया. गांव वाले, रिश्तेदार और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में उस युवक को नम आंखों से विदाई देने के लिए इकट्ठा हुए, जिसकी जिंदगी घर से दूर दुखद परिस्थितियों में खत्म हो गई.
पूरा गांव शोक की लहर
राकेश की कहानी ने विदेशों में भारतीय छात्रों की सुरक्षा और उन परिस्थितियों के बारे में गंभीर सवाल खड़े किए हैं, जिनके तहत कथित तौर पर विदेशी सेनाएं उन्हें भर्ती कर रही हैं. जो सफर शिक्षा के लिए शुरू हुआ था, वह एक दूर के युद्ध के मैदान में असमय मौत के साथ खत्म हो गया, जिससे पीछे एक दुखी परिवार और पूरा गांव शोक में डूब गया है.