नवंबर में रिटेल महंगाई दर बढ़ी लेकिन RBI के लिए नहीं है टेंशन की बात, जानें लगातार तीसरे महीने ऐसा क्या हुआ?
Published on: 12 Dec 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
नवंबर 2025 के लिए जारी सरकारी आंकड़ों ने संकेत दिया है कि भारत की महंगाई दर ऐतिहासिक निचले स्तर से उभरने के बावजूद अभी भी नियंत्रण में है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में थोड़ा इज़ाफा जरूर हुआ, लेकिन यह आरबीआई के 2% से 6% के दायरे से काफी नीचे रहा. दूसरी ओर, लगातार मजबूत आर्थिक वृद्धि ने देश की समग्र आर्थिक स्थिति को स्थिर बनाए रखा है. विशेषज्ञ इसे ऐसी स्थिति बता रहे हैं जिसमें महंगाई भी संतुलित है और विकास भी मज़बूत.
खुदरा महंगाई में हल्की बढ़त
नवंबर 2025 में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 0.71% पर पहुंची, जबकि अक्टूबर में यह 0.25% पर थी. हालांकि मामूली बढ़त दर्ज हुई, लेकिन यह दर अभी भी रिकॉर्ड तौर पर कम है. आरबीआई का लक्ष्य 2% से 6% के बीच महंगाई बनाए रखना है, और लगातार तीसरे महीने यह उससे नीचे रही. अधिकारियों के अनुसार, यह संकेत है कि उपभोक्ता कीमतें अभी भी व्यापक नियंत्रण में हैं और बाज़ार में अनिश्चितता सीमित है.
खाद्य कीमतों में लगातार गिरावट
सरकारी डेटा के अनुसार, नवंबर में खाद्य वस्तुओं की कीमतें साल-दर-साल आधार पर 3.91% घटीं. अक्टूबर में यह गिरावट 5.02% थी. विशेष रूप से सब्जियों की कीमतों में तेज गिरावट जारी रही, जो नवंबर में 22.20% तक पहुंची. यह रुझान घरेलू बाजार में आपूर्ति बेहतर होने और फसल उत्पादन में सुधार का संकेत देता है. विशेषज्ञों का मानना है कि खाद्य महंगाई का कम रहना उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दे रहा है.
आरबीआई की नीतियों में बदलाव
मध्यम महंगाई और मजबूत आर्थिक संकेतकों को देखते हुए, आरबीआई ने दिसंबर की शुरुआत में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की. एक वर्ष में यह पांचवीं कटौती रही, जिससे कुल 125 बेसिस प्वाइंट की राहत मिल चुकी है. केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2026 के लिए महंगाई अनुमान को घटाकर 2% कर दिया है, जबकि जीडीपी वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.3% कर दिया गया है. नीति विशेषज्ञ इसे अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत मानते हैं.
वैश्विक दबावों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत
अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाए जाने के बावजूद भारत की आर्थिक गति धीमी नहीं पड़ी है. जीएसटी सुधार और नए श्रम कानूनों ने कारोबारी माहौल में स्थिरता लाई है. इससे भारत की वृद्धि क्षमता पर प्रभाव नहीं पड़ा. विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू मांग और सुधारों ने वैश्विक चुनौतियों का असर कम किया है.
सरकार ने बढ़ाया विकास अनुमान
जुलाई-सितंबर तिमाही में 8.2% की जीडीपी वृद्धि ने सरकार को अपने अनुमान संशोधित करने के लिए प्रेरित किया. पहले जहां वृद्धि 6.3% से 6.8% के बीच मानी जा रही थी, अब इसे 7% या उससे अधिक तक बढ़ाया गया है. विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा परिस्थितियाँ बताती हैं कि भारत आने वाले महीनों में भी आर्थिक रूप से मजबूत बने रहने की क्षमता रखता है.