लगातार दूसरी छमाही में रूस बना भारत का नंबर-1 तेल सप्लायर, सऊदी अरब, ईराक को पीछे छोड़ा
Published on: 09 Jun 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में भी रूस ने भारत के समुद्री कच्चे तेल आयात में सबसे बड़ा हिस्सा बरकरार रखा है. गहरी छूट, संचालन की सुगमता और मजबूत कूटनीतिक संबंधों के कारण रूस की बाजार हिस्सेदारी एक-तिहाई से अधिक बनी हुई है.
रूस का तेल: भारत के लिए आकर्षक विकल्प
रूस द्वारा प्रदान की जाने वाली आर्थिक सुविधाएं और भू-राजनीतिक लचीलापन भारतीय रिफाइनरियों के लिए रूसी तेल को पहली पसंद बनाते हैं. केपलर के विशेषज्ञ सुमित रितोलिया ने कहा, “रूस लगातार कच्चे तेल पर छूट प्रदान करता है... ये आर्थिक लाभ, संचालन की आसानी और भू-राजनीतिक लचीलापन रूसी तेल को भारतीय रिफाइनरियों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं.”
रूस की यह रणनीति न केवल भारत के तेल आयात की लागत को कम करती है, बल्कि आपूर्ति श्रृंखला में स्थिरता भी सुनिश्चित करती है. भारत, जो अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है, रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को और मजबूत कर रहा है.
मजबूत कूटनीति और व्यापारिक रणनीति
रूस और भारत के बीच गहरे कूटनीतिक रिश्तों ने तेल व्यापार को और बढ़ावा दिया है. रूस की छूट नीति ने अन्य आपूर्तिकर्ताओं, जैसे सऊदी अरब और इराक, को पीछे छोड़ दिया है. यह स्थिति भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हो रही है.
विश्लेषकों का मानना है कि रूस की यह मजबूत स्थिति निकट भविष्य में भी बरकरार रहेगी, क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए लागत प्रभावी और विश्वसनीय स्रोतों की तलाश में है. रूस का तेल बाजार में दबदबा भारत के लिए आर्थिक और रणनीतिक दोनों दृष्टिकोण से लाभकारी है.
भारत की ऊर्जा रणनीति में रूस की भूमिका
रूस का बढ़ता प्रभाव भारत की ऊर्जा नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है. यह साझेदारी न केवल तेल आयात तक सीमित है, बल्कि दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग का आधार भी बन रही है.