भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर 48 घंटे में बड़ा ऐलान, भारत कृषि क्षेत्र में रेड लाइन पर अड़ा

Published on: 03 Jul 2025 | Author: Gyanendra Sharma
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौते पर अगले 48 घंटों में हस्ताक्षर होने की संभावना है. यह समझौता 9 जुलाई की समयसीमा से पहले होने जा रहा है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए 26 प्रतिशत पारस्परिक शुल्कों पर लगी अस्थायी रोक समाप्त हो रही है. सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के बीच बातचीत अंतिम चरण में है लेकिन भारत ने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को पूरी तरह से खोलने से साफ इनकार कर दिया है. दूसरी ओर, भारत ने श्रम-प्रधान उद्योगों जैसे कि टेक्सटाइल, चमड़ा, रत्न-आभूषण और रसायन जैसे क्षेत्रों में अमेरिकी बाजार में अधिक पहुंच की मांग की है.
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक वार्ताएं वाशिंगटन में पिछले कई दिनों से चल रही हैं. भारतीय प्रतिनिधिमंडल, जिसका नेतृत्व वाणिज्य मंत्रालय के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल कर रहे हैं ने अपनी यात्रा को बढ़ा दिया है ताकि 9 जुलाई की समयसीमा से पहले समझौता हो सके. अमेरिका ने अप्रैल में भारतीय सामानों पर 26 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया था, जिसे 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया था. यदि इस समयसीमा तक कोई समझौता नहीं होता, तो ये शुल्क फिर से लागू हो जाएंगे, जिससे भारत के निर्यात पर भारी असर पड़ सकता है.
कृषि और डेयरी भारत की ‘रेड लाइन’
भारत ने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है. इन क्षेत्रों में 80 मिलियन से अधिक छोटे और सीमांत किसान कार्यरत हैं जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र ने कहा, “डेयरी क्षेत्र में कोई रियायत नहीं दी जाएगी. यह हमारी रेड लाइन है. भारत ने हमेशा अपनी मुक्त व्यापार संधियों में डेयरी क्षेत्र को बंद रखा है और इस बार भी वह इस नीति पर अडिग है. अमेरिका ने सेब, मेवे, और आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों जैसे कृषि उत्पादों पर शुल्क में कमी की मांग की है, लेकिन भारत ने खाद्य सुरक्षा और किसानों की आजीविका को प्राथमिकता देते हुए इन मांगों को खारिज कर दिया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, हम भारत के साथ एक समझौता करने जा रहे हैं. यह एक बहुत बड़ा समझौता होगा. उन्होंने दावा किया कि यह समझौता दोनों देशों को प्रतिस्पर्धी बनाएगा और टैरिफ में काफी कमी लाएगा. दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 191 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 500 बिलियन डॉलर करना है.