'अगर अमेरिका तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पित कर सकता है तो पाकिस्तान लखवी-हाफिज सईद को क्यों नहीं कर सकता', भारतीय राजदूत ने पूछा सीधा सवाल
Published on: 20 May 2025 | Author: Gyanendra Sharma
इजरायल में भारत के राजदूत जेपी सिंह ने आतंकवाद के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने का आह्वान किया. उन्होंने यह भी मांग की कि आतंकवादी हाफिज सईद, साजिद मीर और जकीउर रहमान लखवी को भारत को सौंप दिया जाए, ठीक वैसे ही जैसे अमेरिका ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को भारत को सौंपा था. उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है तथा इस चुनौती का सामना कर रहे देशों के बीच अधिक सहयोग का आह्वान किया.
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत, इजरायल और कई अन्य देशों सहित वे सभी देश जो आतंकवाद का दंश झेल रहे हैं, हमें अपनी कूटनीतिक पहुंच का विस्तार करने की जरूरत है, हमें सहयोग करने की जरूरत है, हमें आतंकवाद के खिलाफ और सबसे महत्वपूर्ण रूप से इन आतंकवादी समूहों के समर्थकों के खिलाफ गठबंधन बनाने की जरूरत है. पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को लेकर बोलते हुए सिंह ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों को दोषी ठहराया और इस्लामाबाद पर हाफिज सईद, साजिद मीर और जकीउर रहमान लखवी जैसे शीर्ष आतंकवादियों को बचाने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष आतंकवादी, जो मुंबई हमलों के पीछे थे, जिनमें कई यहूदी भी मारे गए थे, अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं. इस बात का जिक्र करते हुए कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल ही में मुंबई हमले में शामिल तहव्वुर हुसैन राणा को प्रत्यर्पित किया है, राजनयिक, जो पहले भी पाकिस्तान में काम कर चुके हैं, ने कहा कि इस्लामाबाद भी ऐसा ही कर सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा, "जब अमेरिका इन अपराधियों को सौंप सकता है, तो पाकिस्तान उन्हें क्यों नहीं सौंप सकता? उन्हें बस हाफ़िज़ सईद, लखवी, साजिद मीर को सौंपना है, और बात खत्म हो जाएगी."
ऑपरेशन सिंदूर अभी रुका हुआ है
सोमवार को इजरायली टीवी चैनल i24 से बात करते हुए जेपी सिंह ने घोषणा की कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों के खिलाफ भारत का आतंकवाद-रोधी अभियान - ऑपरेशन सिंदूर - केवल "रोका" गया है, समाप्त नहीं हुआ है. सिंह ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान में आतंकवादी समूहों के खिलाफ एक सैन्य जवाबी कार्रवाई थी. भारतीय राजदूत ने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले का हवाला देते हुए कहा कि आतंकवादियों ने लोगों को उनके धर्म के आधार पर मारा. उन्होंने लोगों को मारने से पहले उनका धर्म पूछा और 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई.